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Chapter 59
BE SPARING
In managing human affairs, there is no better rule than to be sparing. To be sparing is to forestall; To forestall is to be prepared and strengthened; To be prepared and strengthened is to be ever-victorious; To be ever-victorious is to have infinite capacity; He who has infinite capacity is fit to rule a country, And the Mother (Principle) of a ruling country can long endure. This is to be firmly rooted, to have deep strength, The road to immortality and enduring vision.
अध्याय 59
ঠিকানাচ্ছিাভিী জী
मानवीय कारबार की व्यवस्था में मिताचारी होने से बढ़िया दूसरा नियम नहीं हैं। मिताचार पूर्व-निवारण करना है, पूर्व-निवारण करना तैयार रहने और सुदृढ़ होने जैसा है, तैयार रहना और सुदृढ़ ठोना सदाजयी ठोना है, सदाजयी होना अशेष क्षमता प्राप्त करना है, जिसमें अशेष क्षमता है, वही किसी देश का शासन करने योग्य है,
आँन शासक देश की माता (सिद्धांत) दीर्घजीवी हो सकती हैं। यही ह ठोस आधार प्राप्त करना, यही हूँ गठरा बल पाना, और यही अमरता और चिर-दृष्टि का मार्ग है।