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शासन जितना कम हो उतना ही शुभ
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नादिरशाह ने किसी ज्योतिषी को पूछा; नादिरशाह को नींद बहुत आती थी तो उसने ज्योतिषी को पूछा कि मुझे नींद बहुत आती है; और सभी धर्मग्रंथ कहते हैं कि आलस्य बुरा है, और मैं ज्यादा सोता हूं; इससे छूटने का उपाय क्या है ? उस ज्योतिषी ने कहा कि धर्मग्रंथ की आप मत सुनें, वे किसी और के लिए कहते होंगे, आप तो चौबीस घंटे सोए रहें; यही आपके लिए सदगुण है।
नादिरशाह समझा नहीं। क्योंकि राजनीतिज्ञ आमतौर से प्रतिभा के धनी नहीं होते, आमतौर से उनकी बुद्धि में जंग लगा होता है। नहीं तो वे राजनीतिज्ञ ही क्यों हों ?
नादिरशाह ने कहा, मैं समझा नहीं । तुम्हारा मतलब? उसने कहा, ज्यादा खोल कर मैं कहूंगा तो मुश्किल में पडूंगा । नादिरशाह जिद्द पकड़ गया कि मैं तुम्हें किसी मुश्किल में न डालूंगा, तुम बात पूरी खोल कर कहो। तो ज्योतिषी ने कहा कि बात सीधी-साफ है। आप जितनी देर जगेंगे उतनी ही बुराई होती है। जितना आप जागते हैं उतना ही उपद्रव होता है। आप चौबीस घंटे के लिए सो जाएं, आप सोए ही रहें, ताकि संसार में शांति रहे । आपका आलस्य बड़ा हितकर है। धर्मग्रंथ किसी और के लिए कहते होंगे; वे आपके लिए नहीं लिखे गए हैं।
वह ज्योतिषी यह कह रहा है कि सबसे बड़ी बात तो यह होती कि आप पैदा ही न होते। फिर दूसरी बड़ी बात यह होती कि आप पैदा ही हो गए हैं तो सोए रहें। और तीसरी बड़ी घटना जो आपके जीवन से घट सकती है वह यह कि आप जितने जल्दी मर जाएं उतना अच्छा।
इसलिए लाओत्से कहता है, शासन सुस्त हो, आलसी हो ।
सुस्त का अर्थ ही यह है कि शासन प्रत्यक्ष न हो, परोक्ष हो । सुस्त का मतलब यह है कि शासन हर जगह तुम्हारे बीच में न आ जाए, कि तुम उठो तो शासन खड़ा है तुम्हारे साथ, तुम चलो तो शासन खड़ा है, तुम हिलो तो शासन में बंधे हो । कानून इतना न हो कि तुम कारागृह में बंध जाओ।
आज कारागृह में जो लोग हैं वे तुमसे ज्यादा स्वतंत्र हैं। दिखाई नहीं पड़ते, क्योंकि उनकी दीवारें बहुत स्थूल हैं । तुम्हारे पास पारदर्शी दीवारें हैं कानून की, इसलिए तुम सोचते हो तुम स्वतंत्र हो । हो तुम नहीं स्वतंत्र । तुम्हारे चारों तरफ कानून है । और सब तरफ से कानून तुम्हें घेरे हुए है। तुम जरा भी हिलने के लिए तुम्हें आजादी नहीं है। बंधे हो। तुम्हारा कंठ घुट रहा है।
तुम
शासन के सुस्त होने का अर्थ है कि शासन तुम्हें थोड़ी सुविधा दे, स्वतंत्रता दे, और बीच में न आए। जब तक कि तुम किसी के लिए विधायक रूप से हानिकर न हो जाओ तब तक शासन को बीच में नहीं आना चाहिए। जब कि तुम किसी की दूसरे की स्वतंत्रता छीनने जा रहे हो तब शासन को बीच में आना चाहिए, लेकिन तुम्हारी स्वतंत्रता के बीच में नहीं आना चाहिए। जब तक तुम अपने में जी रहे हो तब तक शासन को ऐसा होना चाहिए जैसे वह है ही नहीं। लेकिन तुम अगर रात रास्ते पर शांत भी खड़े हो आंख बंद करके तो पुलिसवाला आ जाएगा कि यहां क्यों खड़े हो ? आंख क्यों बंद की? मतलब क्या है ? क्या कर रहे हो यहां ? तुम किसी का कोई नुकसान नहीं कर रहे हो, तुम आंखें बंद किए रास्ते के किनारे खड़े हो । इतनी भी स्वतंत्रता नहीं है; होने के लिए इतनी भी जगह नहीं बची है। कानून सब तरफ खड़ा है; कोने-कोने में, जगह-जगह, छिपा हुआ, गैर छिपा हुआ तुम्हारा पीछा कर रहा है।
लाओत्से कहता है, शासन सुस्त हो। उसका अर्थ है कि शासन कम से कम हो । दि लीस्ट गवर्नमेंट इज़ दि बेस्ट । जितना कम हो, न के बराबर हो, उतना ही शुभ है। क्योंकि उतने ही तुम स्वतंत्र होओगे। और उतने ही तुम स्वयं होने के लिए मुक्त होओगे। उतनी ही तुम्हारे व्यक्तित्व की गरिमा अक्षुण्ण रहेगी।
शासन कोई सौभाग्य नहीं है कि उसे बढ़ाए चले जाओ। शासन एक दुर्भाग्य है जिसे कम करना है। शासन का अर्थ है, परतंत्रता। शासन का अर्थ है, "व्यक्ति का मूल्य कम है, समाज का मूल्य ज्यादा है। शासन का अर्थ है कि