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Chapter 57
THE ART OF GOVERNMENT
Rule a kingdom by the Normal. Fight a battle by (abnormal) tactics of surprise. Win the world by doing nothing. How do I know it is so? Through this: The more prohibitions there are, the poorer the people become. The more sharp weapons there are, the greater the chaos in the state. The more skills of technique, the more cunning things are produced. The greater the number of statutes, The greater the number of thieves and brigands. Therefore the Sage says: I do nothing and the people are reformed of themselves. I love quietude and the people are righteous of themselves. I deal in no business and the people grow rich by themselves. I have no desires and the people are simple and honest by themselves.
अध्याय 57
शासन की कला
राज्य का शासन सामान्य के द्वारा करो। युद्ध असामान्य, अचरज भरी युक्तियों से लड़ो। संसार को बिना कुछ किए जीतो। मैं कैसे जानता कि यह ऐसा है? इसके द्वारा जितने अधिक निषेध ठोते हैं, लोग उतने ही अधिक गरीब होते हैं। जितने अधिक तेज शस्त्र होते हैं, राज्य में उतनी ही अधिक अराजकता होती हैं। जितने अधिक तकनीकी काँशल होते हैं, उतने ही अधिक चतुराई के सामान बनते हैं। जितने ही अधिक कानून होते हैं, उतने ही अधिक चोर और लुटेरे ठोते हैं। इसलिए संत कहते हैं: मैं कुछ नहीं करता हूं और लोग आप ही सुधर जाते हैं। मैं माँन पसंद करता हूं और लोग आप ही पुण्यवान होते हैं। मैं कोई व्यवसाय नहीं करता और लोग आप ही समृद्ध होते हैं। मेटी कोई कामना नहीं और लोग आप ही सरल और ईमानदार है।