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शक्ति पर भद्रता की विजय होती है।
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लाओत्से कहता है कि यही सूक्ष्म दृष्टि है।
'शक्ति पर भद्रता की विजय होती है। मछली को गहरे पानी में ही रहने देना चाहिए; और राज्य के तेज हथियारों को वहां रखना चाहिए जहां उन्हें कोई देख न पाए।'
शक्ति पर भद्रता की विजय होती है। दिखाई नहीं पड़ता हमें ऐसा । हमें तो ऐसा ही दिखाई पड़ता है कि भद्रता पर सदा शक्ति की विजय होती है। हमारी आंखों में, हमारी समझ में, हमारे माप-तौल में लाओत्से का सूत्र कभी भी दिखाई नहीं पड़ता कि भद्रता शक्ति पर जीतती हो। सदा हमें शक्ति जीतती हुई दिखाई पड़ती है । भद्रता कहां जीतती हुई दिखाई पड़ती है? लेकिन उसका कारण यही है कि जीत का भी अर्थ हमें ठीक से पता नहीं है। और जीत भी हम जिसे कहते हैं वह हमारा अधूरा ज्ञान है। वह पहले कदम का ही ज्ञान है। इसे थोड़ा समझ लें।
जब शक्ति भद्रता पर जीतती है तो वह पहला कदम है, और वहीं हम जीत समझ लेते हैं कि जीत हो गई। लेकिन दूसरा कदम भी शीघ्र ही आएगा जो कि हार का है। भद्रता लड़ती ही नहीं; इसलिए पहला कदम उठता ही नहीं । और दूसरे का कोई उपाय नहीं है।
जीसस भद्रता के प्रतीक हैं। निश्चित ही, शक्ति उन पर जीतती हुई दिखाई पड़ती है। जीसस को सूली लग सूली के कुछ क्षण पहले पायलट ने जीसस को कहा भी कि लोग कहते हैं कि तुम ईश्वर के पुत्र हो ! तो यह मौका है, तुम चमत्कार दिखा दो तो तुम मुक्त हो जाओ; यह मृत्यु से तुम बच जाओ; और मैं भी इस पाप से बच जाऊं कि तुम्हारी मृत्यु में सहयोगी हूं। तुम चमत्कार दिखा दो ।
और लोग यही सोच रहे थे, लाखों लोग इकट्ठे हो गए थे - आज जरूर कोई चमत्कार होगा। और जीसस, जिसके बाबत खयाल था कि बीमार को छू दे तो बीमार ठीक हो जाए और मुर्दे को छू दे तो मुर्दा जाग जाए। निश्चित ही ऐसा व्यक्ति जो दूसरे को छूकर जीवन दे सकता है, जब उस पर खुद मुसीबत आएगी और आखिरी परीक्षा का क्षण आएगा तो चमत्कार घटने ही वाला है। इसमें कोई शक न था। इसमें जीसस के शिष्यों को भी कोई शक न था । सभी इस आशा में खड़े थे कि अब चमत्कार हुआ! सूली पर जीसस लटकाए जाएंगे और उनका वास्तविक रूप प्रकट होगा। वे पुनरुज्जीवित हो जाएंगे। और सारा जगत उनके अनुशासन को स्वीकार कर लेगा ।
लेकिन जीसस सूली पर चुपचाप मर गए, जैसे कोई भी मर जाता है । और मैं इसको चमत्कार कहता हूं; मैं इसको चमत्कार कहता हूं। और इसको ईसाइयत को बहुत समय लगा समझने में, फिर भी ठीक से समझ में बात आ नहीं सकी है। ऐसा लगता ही है मन में कि कहीं न कहीं कोई गड़बड़ हो गई, क्या ईश्वर ठीक वक्त पर जीसस को दगा दे गया ? क्या चमत्कार की शक्ति उनकी खो गई ? या कि वह सब पाखंड ही था ? वे जो उनके पास चमत्कार घटित हुए थे वे किसी मूल्य के न थे ? झूठी खबरें हैं? कहानियां हैं? क्योंकि जो मुर्दों को जिला सकता था वह अपनी मौत को क्यों न रोक पाया? और यह तो घड़ी थी परीक्षा की। इसके साथ ही तो विजय की घोषणा होती।
लेकिन जीसस की सारी कला इसमें है कि वे शक्ति के द्वारा जीतने को राजी नहीं हैं; वे भद्रता के द्वारा जीतने को राजी हैं। शक्ति के खिलाफ वे शक्ति को खड़ा न करेंगे। क्योंकि शक्ति से जो जीती गई है बात, वह आज नहीं कल, हार में परिवर्तित हो जाएगी। शक्ति द्वंद्व का हिस्सा है, संसार का हिस्सा है। तो जीसस शक्ति का उपयोग न करेंगे, वे केवल साक्षी रहेंगे, वे केवल चुप रहेंगे, वे देखते रहेंगे। वे सिर्फ भद्रता का, हंबलनेस का, विनम्रता का उपयोग करेंगे। वे झुक जाएंगे। जब शक्ति उन पर हमला करेगी तो वे पूरे झुक जाएंगे; उनके मन में कहीं कोई प्रतिरोध न होगा।
और मजे की बात यही है कि यही जीसस की विजय का कारण बन गई बात। जीसस को कोई जानता भी नहीं; जीसस को कोई कभी पहचानता भी नहीं; जीसस का नाम भी किसी को पता न चलता, अगर सूली पर यह