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ताओ उपनिषद भाग ४
बिना तारीख पढ़े पढ़ लें। कोई बहुत फर्क नहीं पड़ने वाला है। आदमी जैसा है, उसे जानते हुए, जो हो रहा है उसका अनुमान लगाया जा सकता है।
लाओत्से कहता है, अगर मनुष्य को थोड़ी सी भी अंतर्मन की प्रतीति हो तो संसार में क्या हो रहा है, उसे पता होगा। एक-एक क्षुद्र घटना को जानने की कोई जरूरत नहीं है। जीवन के विस्तीर्ण नियम साफ हो जाते हैं।
और हम क्यों एक-एक घटना को जानना चाहते हैं? हम इसलिए जानना चाहते हैं कि हमें विस्तीर्ण नियम का कोई पता नहीं है। और हम जिंदगी भर अखबार पढ़ते रहते हैं तो भी मनुष्य के स्वभाव का हमें कोई खयाल नहीं हो पाता। मनुष्य का स्वभाव समझने योग्य है; फिर मनुष्य क्या करता है, यह गौण बात है। कामवासना से भरा हुआ मनुष्य क्या करेगा, क्रोध से भरा हुआ मनुष्य क्या करेगा, लोभ से भरा हुआ मनुष्य क्या करेगा, हिंसा से भरा हुआ मनुष्य क्या करेगा, अगर ये मूल सूत्र हमें खयाल में हैं तो हम सदा-सदा के लिए घोषणा कर सकते हैं कि कल क्या होगा, परसों क्या होगा।
पश्चिम में तीन सौ वर्ष पहले एक ज्योतिषी ने तीन सौ वर्ष की घोषणाएं की हैं। और करीब-करीब इन तीन सौ वर्षों में उसकी सारी घोषणाएं सही सिद्ध हुईं। तीन कारण हैं उसकी घोषणाओं के सही सिद्ध होने के। एक तो उसने . युद्धों की घोषणा की। हर दस साल में एक महायुद्ध होता ही है। मनसविद कहते हैं, दस साल में आदमी इतनी घृणा इकट्ठी कर लेता है कि युद्ध में विस्फोट आवश्यक हो जाता है। ऐसे ही जैसे कि अगर आप पानी को गर्म करते जाएं तो सौ डिग्री पर जाकर भाप बन जाएगा, और अगर केतली बंद है तो केतली फूट जाएगी। चूंकि सारे धर्म और सारी नैतिक शिक्षाएं आदमी के मन की केतली को बंद रखने का सुझाव देती हैं, इसलिए हर दस वर्ष में युद्ध अनिवार्य हो जाता है। तीन सौ वर्ष की जो घोषणाएं हैं ज्योतिष की, उसमें हर दस वर्ष में उसने युद्ध की घोषणा की है।
फिर किस तरह के आदमी युद्ध करते हैं? हर तरह का आदमी तो युद्ध नहीं करता, कुछ खास तरह के आदमी युद्ध करते हैं। यह बड़े मजे की बात है कि हम लोगों के नाम याद रख लेते हैं, लेकिन टाइप कभी खयाल में नहीं लेते। हिटलर या स्टैलिन या माओ या चंगीज या तैमूरलंग, नादिर, नेपोलियन, सिकंदर, ये नाम तो इतिहास पढ़ता है; लेकिन समझदार व्यक्ति नामों की फिक्र नहीं करता, इनके पीछे छिपा हुआ टाइप! अगर हम नाम अलग कर दें तो हिटलर और स्टैलिन बिलकुल एक ही ढांचे के आदमी हैं; नेपोलियन, सिकंदर एक ही ढांचे के आदमी हैं। लेबल का फर्क है; भीतर जो छिपा है वह बिलकुल एक जैसा है।
हर दस वर्ष में जब भी युद्ध होगा तो एक नेपोलियन, एक हिटलर, एक स्टैलिन चाहिए। तीन सौ वर्ष पहले जिस आदमी ने घोषणाएं की हैं उसने उन व्यक्तित्वों के लक्षण गिनाए हैं कि इस तरह का आदमी युद्ध की शुरुआत करेगा। और वे हमेशा सही सिद्ध होते हैं, क्योंकि वह आदमी कोई भी हो-वह हिटलर करे युद्ध की शुरुआत, या मुसोलिनी करे, या तोजो करे, कोई भी करे-नाम से कुछ लेना-देना नहीं है। वे लक्षण इतने सही हैं कि जब हिटलर शुरू करता है तो उस ज्योतिष को मानने वाले लोग कहते हैं कि देखो, तीन सौ वर्ष पहले एक-एक लक्षण हिटलर का गिनाया हुआ है। हिटलर से कोई संबंध नहीं है ज्योतिष का, लेकिन जिस तरह का आदमी युद्ध की शुरुआत करता है उसके लक्षण गिनाए हैं; वे लागू होते हैं।
यह जो मनुष्य का मन है, इसके प्रकार हैं। और वे ही प्रकार सदा जमीन पर होते हैं, और करीब-करीब पुनरुक्ति होती है। इतिहास लंबी पुनरुक्ति है, उसमें सब दोहरता है; वही दोहरता जाता है बार-बार। विस्तार की बातें बदल जाती हैं, नाम बदल जाते हैं, लेकिन घटनाओं के मूल स्रोत नहीं बदलते।।
लाओत्से कह रहा है, 'अपने घर के दरवाजे के बाहर बिना पांव दिए ही, कोई जान सकता है कि संसार में क्या हो रहा है।'
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