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________________ ताओ सब से परे हैं; असमान हमें खींचता है। ठीक वैसे ही जैसे धन और धन विद्युत एक-दूसरे को हटाएंगे, ऋण और धन विद्युत चुंबकीय हो जाएंगे और करीब आ जाएंगे। समान से विकर्षण, विपरीत से आकर्षण नियम है। इसलिए जिससे भी आप आकर्षित होते हैं, वह आपका विपरीत है। दूसरी बात, विपरीत जैसे ही निकट आएगा, उपद्रव और द्वंद्व शुरू हो जाएगा। विपरीत दूर हो तो आकर्षित करता है; पास आए, तो चूंकि वह विपरीत है और विरोधी है, संघर्ष पैदा होगा। - तीसरी बात ध्यान रखनी जरूरी है, जिससे भी संघर्ष पैदा हो सकता है, उससे संगीत भी पैदा हो सकता है। जहां-जहां संघर्ष है, वहां-वहां संगीत की संभावना है। क्योंकि जहां-जहां संघर्ष है, वहां स्वरों का उत्पात है। और जहां स्वर उत्पात में हैं, वहां अगर कोई जानता हो कला तो वे लयबद्ध हो सकते हैं। दो समान के बीच तो स्वर पैदा नहीं होते। समान के बीच स्वर ही पैदा नहीं होता, इसलिए संगीत का कोई उपाय नहीं है। असमान के बीच स्वर पैदा होते हैं, घर्षण होता है। घर्षण अंत नहीं है। उसे अगर नियोजित किया जा सके, उसे अगर बांधा जा सके, उसे अगर व्यवस्था दी जा सके, अनुशासन पैदा किया जा सके, तो विपरीत के बीच जो लयबद्धता है, ताओ और लाओत्से की मान्यता है, वही योग है। वही कला है-विरोध को जोड़ लेने की। ये तीन बातें खयाल में हों तो आप जीवन के किसी भी कोने से समाधि को उपलब्ध हो सकते हैं। फिर जीवन पूरा का पूरा एक साधना बन जाता है। फिर जो भी आकर्षित करे, आप जानते हैं, वहां खतरा है। और जान कर ही आप उस भूमि पर पैर रखते हैं। खतरा है, इसलिए संभावना भी है। वहां कुछ गलत हो सकता है तो कुछ ठीक भी हो सकता है। जहां गिरने का डर है वहां चढ़ने की सुविधा भी है। जब समतल भूमि पर आप चलते हैं तो गिरने का कोई डर नहीं है, क्योंकि चढ़ने का कोई उपाय नहीं है। इसलिए जीवन में प्रेम सबसे खतरनाक घटना है। वह तलवार की धार पर चलना है। बड़ा उत्पात होगा, बड़ी अराजकता होगी; जीवन विपरीत के संघर्ष से भर जाएगा। अगर यहीं कोई रुक गया तो जो पत्थर सीढ़ी बन सकता था, उसे आपने बाधा मान ली और आप वापस लौट गए। जो बाधा मालूम पड़ी थी, वह सीढ़ी भी बन सकती है; सिर्फ उसे कैसे पार किया जाए, यही खयाल में होना चाहिए। ___ 'ब्रह्मांड के पीछे यिन का वास है और उसके आग यान का। इन्हीं व्यापक सिद्धांतों के योग से वह लयबद्धता को प्राप्त होता है।' प्रतिक्षण जीवन की सारी गति विपरीत से बंधी है। न केवल बंधी है, बल्कि हर चीज अपने विपरीत में परिवर्तित हो रही है। यह बहुत आश्चर्यजनक खयाल है लाओत्से का-और अब विज्ञान भी उससे राजी होता है कि हर चीज अपने से विपरीत में परिवर्तित होती रहती है। न केवल विपरीत से आकर्षित होती है, बल्कि विपरीत में परिवर्तित होती है। स्त्रियों की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, उनमें पुरुष तत्व प्रकट होने लगता है; पुरुषों की जैसे-जैसे उम्र बढ़ने लगती है, उनमें स्त्रैणता प्रकट होने लगती है। स्त्रियां जैसे-जैसे ज्यादा उम्र की होती जाएंगी, कर्कश होने लगेंगी; उनका स्वर पुरुष का होने लगेगा, और उनके व्यक्तित्व में पुरुष जैसी कठोरता आने लगेगी। पुरुष जैसे-जैसे बूढ़े होने लगेंगे, वैसे-वैसे कोमल होने लगेंगे, और उनके व्यक्तित्व में स्त्रैणता आने लगेगी। न केवल मानसिक रूप से, बल्कि शारीरिक रूप से, हारमोन के तल पर भी ऐसा ही फर्क होता है। हर चीज अपने विपरीत की तरफ डोलती रहती है, बदलती रहती है। अक्सर ऐसा होता है कि अगर इस जन्म में आप पुरुष हैं तो अगले जन्म में आप स्त्री हो जाएंगे। बहुत लोगों के पिछले जीवन में झांक कर इसे नियम की तरह कहा जा सकता है कि अगर आप इस जन्म में पुरुष हैं तो पिछले जन्म में स्त्री। बहुत मुश्किल से ऐसा होता है कि आप इस जन्म में भी पुरुष हों और अगले में भी पुरुष हों। 293
SR No.002374
Book TitleTao Upnishad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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