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________________ अस्तित्व में सब कुछ परिपूरक है अभी पिछले बीस वर्षों में पश्चिम के बड़े नगरों में उपद्रव पैदा हुआ तो खयाल में आना शुरू हुआ। फैक्ट्री हैं, बड़े कारखाने हैं; उनकी वजह से नदियां दूषित हो गईं। नदी दूषित हो गई तो मछलियां सड़ने लगी, और मछलियां विषाक्त द्रव्य खा गईं। मछलियां बाजारों में बिकने पहुंच गईं। तो जिन्होंने मछलियों को खाया वे बीमार पड़ गए। उन बीमार आदमियों के जो बच्चे पैदा होंगे वे जन्म के साथ कुछ दूषण लेकर पैदा होंगे। फैक्ट्री और एक बच्चे के पैदा होने में क्या लेना-देना है? लेकिन फैक्ट्री ने नदी को दूषित कर दिया। नदी मछलियों को दूषित कर दी, क्योंकि मछलियां नदी पर निर्भर थीं। मछलियां लोग खाते हैं; लोग मछलियों पर निर्भर हैं। मछलियों ने लोगों को दूषित कर दिया; उनके बच्चे दूषित हो गए। एक वर्तुल की तरह सब चीजें घूमती चली जाती हैं। सारी प्रकृति जुड़ी है। वृक्ष खड़े हैं। आप वृक्षों को काटते चले जाते हैं बिना फिक्र किए। लेकिन अब घबड़ाहट पैदा हो गई। क्योंकि आदमी ने बहुत वृक्ष काट डाले जमीन पर। उसको पता ही नहीं था कि वृक्ष के बिना जमीन नहीं हो सकती। क्योंकि वृक्ष बिलकुल अनिवार्य है आपके जीवन के लिए। वृक्ष सूरज की किरणों को पीता है; इस जमीन पर कोई और चीज उनको नहीं पी सकती है। और वृक्ष पीकर उनको डी विटामिन बना देता है। वह डी विटामिन जीवन के लिए बिलकुल जरूरी है। अगर वृक्ष कम होते चले गए, डी विटामिन कम हो जाए-आदमी मुश्किल में पड़ जाए, पक्षी मुश्किल में पड़ जाएं। आप वृक्ष काटते चले गए, आप अपने जीवन का एक अंग काटते चले गए। अब अड़चन शुरू हो रही है। वृक्ष हैं तो बादलों को वृक्ष आकर्षित करते हैं, निमंत्रण देते हैं। उनकी प्यास बुलाती है, खींचती है। उनकी ठंडक बादलों को अपने पास ले लेती है। बादल उनसे आनंदित उन पर वर्षा कर जाते हैं। वृक्ष काट देते हैं; बादल चले जाते हैं। आप नीचे खड़े देखते रहते हैं कि कब वर्षा हो। लेकिन आपके लिए बादल कभी नहीं आए थे; आपसे उनका सीधा कोई संबंध ही नहीं है। आपसे उनका संबंध वृक्षों के द्वारा है, वाया मीडिया है। आदमी से बादलों का कोई लेना-देना नहीं है। बादल आदमी की कोई आवाज नहीं सुनते। आप कितना ही इंद्र देवता को बुलाओ। वे आपकी बात से...उनको आदमी की भाषा आती ही नहीं। हां, जब वृक्ष उनको बुलाते हैं तो बादल सुनते हैं। वे वृक्षों से जुड़े - हैं। वृक्ष हटा लें जमीन से, आदमी मर जाएगा; आदमी नहीं बच सकता। यह उदाहरण के लिए कह रहा हूं कि ऐसा जीवन सब तरफ से जुड़ा है। तो जब आप एक वृक्ष की एक शाखा तोड़ रहे हैं तो आपको कभी खयाल भी नहीं आता कि अपना कुछ तोड़ रहे हैं। जब आप एक वृक्ष को काट रहे हैं, आपको कुछ खयाल ही नहीं आता। आप सोच रहे हैं, फर्नीचर बनाना है। आपको जीवन की संयुक्तता का कोई बोध नहीं है। यहां सब चीजें जुड़ी हैं। आप चीजों को खा-पीकर मल-मूत्र त्याग कर देते हैं। फिर कीड़े-मकोड़े हैं जो आपके मल-मूत्र को खा लेते हैं। उन कीड़े-मकोड़ों से आपको बड़ी नफरत है। लेकिन आपको पता नहीं कि वे कीड़े-मकोड़े आपके जीवन के लिए अनिवार्य हैं। उनके बिना आप नहीं हो सकते। अभी तक आदमी ने सारी जमीन को मल-मूत्र कर दिया होता। लेकिन वे कीड़े-मकोड़े मल-मूत्र को खाकर फिर भोजन के योग्य बना देते हैं। वापस मिट्टी बन जाती है। मिट्टी में वापस समा जाती है। फिर कल गेहूं का पौधा खड़ा हो जाता है। उस गेहूं के पौधे में वही मल-मूत्र उन कीड़ों के द्वारा पुनः शुद्ध होकर वापस लौट आया। कीड़े-मकोड़ों से आपको बड़ी नफरत है। आदमी चाहेगा कि सब कीड़े-मकोड़े नष्ट कर दे। लेकिन कीड़े-मकोड़े नष्ट हो गए तो जमीन सिर्फ मल-मूत्र रह जाएगी। क्योंकि उनको ट्रांसफार्म करने के लिए, बदलने के लिए जो कीड़े जरूरी थे वे अब नहीं हैं। तो आदमी ने इधर बहुत सा काम किया, बहुत सी चीजें नष्ट कर डालीं उसने यह सोच कर कि इनसे क्या लेना-देना है, इनकी कोई जरूरत नहीं है। उनके हटते ही नए उपद्रव शुरू हो जाते हैं। क्योंकि कोई कड़ी टूट जाती है, और जो कड़ी अनिवार्य थी। 221
SR No.002374
Book TitleTao Upnishad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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