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Chapter 22 : Part 1
FUTILITY OF CONTENTION
To yield is to be preserved whole. To be bent is to become straight. To be hollow is to be filled. To be tattered is to be renewed.
To be in want is to possess. To have plenty is to be confused. Therefore the Sage embraces the One, And becomes the model of the world.
अध्याय 22 : खंड 1
संघर्ष की व्यर्थता
झुकना है सुरक्षा।
और झुकना ही हैं सीधा होने का मार्ग ।
खाली होना है भरे जाना।
और टूटना, टुकड़े-टुकड़े हो जाना ही है पुनरुज्जीवन ।
अभाव है संपदा।
संपत्ति है विपत्ति और विभ्रम ।
इसलिए संत उस एक का ही आलिंगन करते हैं,
और बन जाते हैं संसार का आदर्श।