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________________ श्रद्धा, संस्कार, पुनर्जन्म, कीर्तन व भगवत्ता हल कर दें। मैंने उनसे कहा कि अगर मैं हल भी कर दूं तो फिर तुम क्या करोगे? अगर यह पक्का हो जाए कि जगत ईश्वर ने बनाया, फिर तुम्हारे क्या इरादे हैं? अगर यह पक्का हो जाए कि जगत ईश्वर ने नहीं बनाया, तो तुम्हारे क्या इरादे हैं? उन्होंने कहा, नहीं, इरादे का क्या सवाल है? नहीं, कुछ करना नहीं है, उन्होंने कहा, मगर तय तो हो जाए। जिससे कुछ करना नहीं, उसको तय किसलिए करना है? ध्यान रहे, और जिस चीज से हमें कुछ करना नहीं है, हम उसे कभी तय न कर पाएंगे। क्योंकि तय ही हम तब करते हैं, जब हमें कुछ करना होता है। तय करने का मतलब यह होता है कि जिंदगी दांव पर है, इसलिए तय करके कुछ करना है। जिस चीज के तय होने से कुछ करना ही नहीं, वह कभी तय नहीं हो पाती। इसलिए लोग जिंदगी भर विवाद करते रहते हैं, और जहां झूले ने उन्हें पाया था, कब्र इंच भर दूर नहीं पाती, वहीं पाती है। मत पूछे, ऐसे सवालों का कोई प्रयोजन नहीं है। ऐसा सवाल पूछे जो आपकी जिंदगी को बदलता हो, जिसका उत्तर आपको कुछ करने में ले जाए, जो सवाल आपके लिए क्रांति बने, जो सवाल रूपांतरण का इशारा बने। आज इतना ही। रुकें, पांच मिनट कीर्तन करें, और फिर जाएं। और आज वे लोग भी कीर्तन करें, जो हिम्मत नहीं कर पाते। आ जाएं। 271
SR No.002373
Book TitleTao Upnishad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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