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________________ ताओ उपनिषद भाग ३ बात खतम हो गई। इसमें और क्या पूछने का है? लेकिन न्यूटन ने कहा कि सभी फल नीचे गिरते हैं; जरूर नीचे गिरने में कोई राज होना चाहिए। जमीन खींचती है, नहीं तो फल नीचे नहीं गिर सकते हैं। तो जमीन के खींचने का नियम-फिर सब फल बेकार हो गए; गिरे हों, न गिरे हों; पत्थर गिरे हों, न गिरे हों; सब खतम हो गए-सब गिरने के सब अनुभवों में से एक सार ग्रेविटेशन का, गुरुत्वाकर्षण का हाथ में आ गया। धर्म भी एक विज्ञान है, अंतस जीवन का। जितना सुख को पकड़ो, पकड़ में नहीं आता; जितना दुख से भागो, भाग नहीं पाते; दुख को छोड़ो, छूटता नहीं; सुख को पकड़ो, पकड़ में नहीं आता। कितने-कितने जन्मों का आदमी का अनुभव है, लेकिन वही हम कभी पूछते नहीं कि इसके पीछे कारण क्या होगा? क्या बात है कि जिसे पकड़ते हैं वह पकड़ में नहीं आता और जिसे छोड़ते हैं वह छूटता नहीं? छोड़ने की कोशिश निमंत्रण मालूम पड़ती है, छोड़ने की कोशिश बुलावा है। पकड़ने की कोशिश, मालूम होता है, जिसे हम पकड़ना चाहते हैं उसे रिपेल करती है, उसे हटाती है। ___ इसे जीवन में जरा चेष्टा करके देखें। किसी को भुलाना चाहते हैं मन से, जितना भुलाएंगे उतना मुश्किल हो जाएगा, जितना भुलाएंगे उतनी याद आएगी। भुलाने की कोशिश भी एक ढंग की याद है। बैठे हैं आंख बंद करके, भुला रहे हैं। मगर भुलाना भी याद करना है। तो जिसे भुलाना चाहते हैं, वह भूलता नहीं है। और कभी इससे उलटा करके देखें, प्रयासपूर्वक किसी की याद करके देखें। और आप पाएंगे, याद हाथ से छूट गई। आंख बंद कर लें, जिस चेहरे को आप खूब प्रेम करते हैं, उसे पूरी तरह याद करें, पूरा एकाग्र करें, सारी ताकत लगा दें कि वह चेहरा कैसा है। पहली दफे आपको पता चलेगा, आपके खुद के प्रेमी या प्रेयसी का चेहरा आपकी याद में नहीं पकड़ता। आप चकित हो जाएंगे कि जो चेहरा इतना निकट है, जो सपनों में छाया रहता है, वह इस भांति क्यों खो गया है? अपनी मां का चेहरा भी याद करना आसान नहीं है कोशिश से। कोशिश करके देखेंगे, तब आपको पता चलेगा कि खो गया चेहरा। रेखाएं डगमगा जाएंगी, धुंधला हो जाएगा; चेहरा खो जाएगा। जिसकी चेष्टा से याद करेंगे, वह खो क्यों जाता है? शायद आपकी चेष्टा विकर्षण बन जाती है। जिसको चेष्टा से आप भुलाना चाहते हैं, वह याद क्यों आ जाता है? कोई विपरीत नियम काम कर रहा है, लॉ ऑफ रिवर्स इफेक्ट काम कर रहा है। विपरीत परिणाम आ जाते हैं। इसको जो समझ लेगा, वह फिर दुख को हटाना न चाहेगा, वह फिर सुख को बुलाना न चाहेगा। और जो दुख को हटाता नहीं और सुख को बुलाता नहीं, वह आनंद में प्रवेश कर जाता है। ___आनंद का मतलब ही यह है, अब दुख आते नहीं, सुख जाता नहीं। आनंद का मतलब ही इतना है कि अब दुख आते नहीं, सुख जाता नहीं। लेकिन यह एक बहुत कीमिया है, एक अल्केमी है, एक भीतरी रसायन है। हम अपने ही हाथों नियम के विपरीत चल कर दुख निर्मित करते हैं। और हम अपने ही हाथों नियम के विपरीत चल कर सुख को नष्ट करते हैं। अगर हम आदमियों को देखें और उनकी जिंदगी में झांकें, तो हर आदमी अपने लिए दुख के गड्ढे खोद रहा है। हर आदमी! उसको जरा भी पता नहीं है कि वह क्या कर रहा है। वह गड्ढे खोद रहा है। जब वह गड्ढे में गिरता है, तब उसको पता चलता है। और तब वह चिल्लाता है कि न मालूम किस दुष्ट ने यह गड्ढा खोद दिया! हर आदमी दुख को बुला रहा है और हर आदमी सुख वो तोड़ रहा है। और जब उसका सुख खंड-खंड होकर बिखर जाता है, तब वह छाती पीटता है कि कौन दुश्मन मेरे पीछे पड़ा है! प्रकृति निर्दय मालूम होती है! परमात्मा कठोर है! लेकिन आप इस गहरे नियम को समझ लें तो आप जो गड्ढे अपने लिए खोदते हैं वे बंद हो जाएंगे और अपने हाथ जो आप सुख की प्रतिमा खंडित करते हैं वह बंद हो जाएगी। दूर है लेकिन आनंद भी। जो सुख और दुख दोनों के पार है, वह भी दूर है। 182
SR No.002373
Book TitleTao Upnishad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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