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ताओ उपनिषद भाग २
अत्तार ने कहा कि जरा धैर्य रखना, अभी और बड़े खरीददार भी आएंगे। तब तो उन्होंने कहा कि तुम कुछ भी दो. हम छोड़ने वाले नहीं हैं। वह आदमी दस हजार दीनार की बात कह कर चला गया।
फिर एक और आदमी आया। अत्तार ने कहा कि यह आदमी जो आ रहा है, अगर यह कोई भी मूल्य दे, तुम स्वीकार कर लेना। वह आदमी आया। वह एक घसियारा था, घास का एक बंडल लिए जा रहा था। सैनिकों ने उसे बुलाया और कहा कि तुम इस आदमी को खरीदना चाहते हो? उसने देखा; उसने कहा कि अच्छा ठीक है, यह घास का एक गट्ठर तुम ले लो और दे दो।
अत्तार ने कहा कि बिलकुल दे दो इस आदमी को यह ठीक उपयोगिता समझ गया है मेरी। उन सैनिकों ने तो सिर पीट लिया कि त आदमी पागल तो नहीं है!
अत्तार ने कहा कि वह आदमी मेरा मूल्य जानता था और फिर भी कीमत की बात कर रहा था; इसलिए मैंने रोका। ही निउ माई वैल्यू एंड वाज़ टाकिंग इन टर्स ऑफ प्राइस; इसलिए मैंने तुम्हें रोका। और यह आदमी, इसको मूल्य का कोई पता ही नहीं है। यह मुझे एक कमोडिटी समझता है। इसने मेरी तरफ देखा कि हां, घास वगैरह काटने के थोड़े-बहुत काम पड़ सकता है। यह मेरी उपयोगिता जानता है; वह आदमी मेरी उपयोगिता नहीं, उपयोगिता के पार जो मैं हूं, वह जानता था। इसलिए मैंने रोका। उस आदमी से दाम लेना ठीक नहीं। वह मेरी बहुत कम कीमत
आंक रहा था। यह आदमी बिलकुल ठीक कीमत आंक रहा है। ठीक प्राइस यह आदमी आंक रहा है। यही मेरी कीमत है। उपयोग तो मेरा कोई भी नहीं है। घास भी काट सकूँगा कि नहीं काट सकूँगा, यह इसका अनुमान है। लेकिन वह आदमी मेरी गलत कीमत आंक रहा था, क्योंकि उसे मेरे मूल्य का पता था। वह कितनी ही कीमत तुमको कहता, में इनकार करता जाता कि इससे राजी मत होना।
जीवन का एक तो मूल्य है और एक कीमत है। लाओत्से कहता है, मूल्य तब प्रकट होगा, जब कीमतों का बाजार, शोरगुल बंद हो जाए। छोड़ो उपयोगिता, और चोर और लुटेरे अपने आप लुप्त हो जाएंगे।
क्योंकि हमने जिंदगी को एक बाजार बना दिया, एक दुकानदारी बना दी। उसमें सब चीजों की कीमत लगी हुई है। हर आदमी के माथे पर लिखा है, कितना दाम है, खरीद लो। किसी का थोड़ा कम होगा, किसी का थोड़ा ज्यादा होगा। लेकिन हर आदमी बिकाऊ है। हर चीज बिक रही है। यहां चोर और लुटेरे पैदा नहीं होंगे, तो क्या होगा! जहां सब चीजें बिकती हैं, वहां चोर और लुटेरे पैदा नहीं होंगे, तो क्या होगा!
चोर और लुटेरे का मतलब क्या है? चोर और लुटेरे का मतलब यह है कि उपयोगिता तो वे भी मानते हैं चीज की, सिर्फ उनके पास चुकाने को दाम नहीं हैं। तो वे बिना दाम के चीजें ले जाने की कोशिश करते हैं। और जहां सब चीजों के दाम हैं, और कुछ लोगों के पास दाम हैं और कुछ लोगों के पास दाम नहीं हैं, वहां कुछ लोग चोरी भी करेंगे, डाका भी डालेंगे।
लाओत्से कहता है कि बस मूल्य रह जाने दो, दाम हटा दो; फिर चोरी नहीं हो सकेगी। फिर चोरी नहीं हो सकेगी। चीजों का मूल्य रह जाने दो, दाम हटा दो।
इसे हम ऐसा समझें। अगर चीजों का मूल्य रह जाए और दाम हट जाएं, तो हीरे का कोई दाम होगा? मूल्य तो हीरे में बिलकुल नहीं है। वैल्यू क्या है हीरे की? किसी भी पत्थर की जो वैल्यू है, वह हीरे की वैल्यू है। दाम बहुत है। हीरे की क्या है मूल्यवत्ता? लेकिन दाम बाजार में बहुत है। हीरे की चोरी होगी। जितनी चोरी हीरे की होगी, उतनी किसी चीज की न होगी। हीरा जिसके पास है, वह खतरे में है। चोरी होगी, हत्या होगी। क्यों आखिर? .
हीरे में दाम आदमी की ईजाद है। हीरे में क्या है मूल्य? कोई भी मूल्य नहीं है। और अगर जंगल में आप पड़े हों और भूखे पड़े हों, और एक रोटी कोई दे दे, तो आप एक हीरा दे दें। और प्यास लगी हो और मरुस्थल में पड़े हों,
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