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ताओ के पतब पर सिद्धांतों का जन्म
'मानवता और न्याय के सिद्धांत का उदय हुआ, जब ताओ का पतन हुआ। और जब ज्ञान और होशियारी का जन्म हुआ, तब पाखंड भी अपनी पूरी तीव्रता में सक्रिय हो गया।'
कभी आपने खयाल किया कि शिक्षित आदमी को बेईमानी से बचाना बहुत मुश्किल है! लेकिन तब भी हम ऐसा सोचते हैं कि यह शिक्षा की भूल से ऐसा हो रहा है; शायद शिक्षा में कोई कमी है; शायद शिक्षा ठीक नहीं है। अगर ठीक शिक्षा हो, राइट एजुकेशन हो, तो ऐसा नहीं होगा। फिर हम गलती कर रहे हैं।
लाओत्से कहता है कि शिक्षित आदमी को बेईमानी से बचाना असंभव है। असंभव इसलिए है कि शिक्षा होशियारी देती है; होशियारी चालाकी बन जाती है। शिक्षा समझ देती है; हृदय को नहीं बदलती। हृदय तो वही होता है। समझ भर बदल जाती है। हृदय जो कल कर सकता था अशिक्षित होकर, अब और दुगुने वेग से कर सकता है। सिर्फ, एक आदमी के हाथ में तलवार थी; आदमी वही है, हमने उसको एटम बम दे दिया। यह आदमी कल तलवार चलाता, दो-चार को मारता; आज यह लाखों को मार सकता है। इसके भीतर क्रोध वही है। इसके हाथ में पत्थर होता, तो पत्थर फेंक कर मार देता। इसके हाथ में एटम बम है, तो एटम बम फेंक कर मार देगा। यह आदमी वही है।
इधर शिक्षा बढ़ती है, बेईमानी बढ़ती चली जाती है। इमर्सन या और विचारक, जो मानते हैं कि जिस दिन सारा जगत सुशिक्षित हो जाएगा, उस दिन कोई बुराई न रह जाएगी, बुनियादी रूप से गलत हैं। हम देख रहे हैं कि जगत सुशिक्षित होता जा रहा है, और कुछ मुल्क तो पूरी तरह सुशिक्षित हो गए हैं। आज अमरीका तो पूरी तरह सुशिक्षित है। लेकिन उसकी शिक्षा से ही उसकी सारी बीमारियों का जन्म हो गया है। अच्छे लोग भी गलत तर्क को मान कर चलें, तो नुकसान पहुंचाते हैं।
एक मित्र मेरे पास आए। उन्होंने अपना पूरा जीवन आदिवासियों को शिक्षा देने में लगाया। बड़े प्रसन्न हैं कि उन्होंने भारी काम किया, बड़ा त्याग किया। काफी आनंदित हैं। शहीद होने का मजा है, कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी लगा दी, एक पैसा नहीं कमाया। मैं क्या नहीं कमा सकता था। जेल गया; आज केंद्रीय मंत्रिमंडल में हो सकता था, पार्लियामेंट में हो सकता था। उस सब पर लात मार दी। आदिवासी बच्चों को शिक्षा देने में मैंने सब जीवन कुर्बान कर दिया।
मैंने उनसे पूछा कि तुम जो शिक्षा दे रहे हो, यह भी तो देखो कि जिन बच्चों को शिक्षा मिल गई है, उनको क्या हुआ है? तुम मर जाओगे शिक्षा दे-दे कर इस खयाल में कि बड़ा उपकार कर रहे हो, लेकिन दूसरी तरफ भी नजर डालो-जिनको शिक्षा मिल गई है, उनको क्या हो गया है?
अमरीका तो आज शिक्षित मुल्क है। हम आशा कर सकते हैं कि अमरीका सारे जगत का भविष्य है। सब लोग शिक्षित हो जाएंगे, तो सभी मुल्क अमरीका जैसे हो जाएंगे। लेकिन यह पूरी शिक्षा का परिणाम क्या है? अपराध कम नहीं हुए, बढ़ गए। बेईमानी कम नहीं हुई, बढ़ गई। हत्याएं कम नहीं हुईं, बढ़ गईं। पाप कम नहीं हुए, बढ़ गए। जिस मात्रा में शिक्षा बढ़ी, उसी मात्रा में सब बढ़ गया।
इसका अर्थ क्या है? इसका अर्थ यह है कि हम विपरीत को मिटा नहीं सकते; एक को बढ़ा कर हम उसके विपरीत को मिटा नहीं सकते, सिर्फ बढ़ा सकते हैं।
किसी और पहलू से देखें। आज जमीन पर जितनी दवाएं हैं, कभी भी नहीं थीं। लेकिन बीमारियां कम नहीं हुई। बीमारियां बढ़ गई हैं। सच तो यह है कि नई-नई मौलिक बीमारियां पैदा हो गईं, जो कभी भी नहीं थीं। हमने दवाओं का ही आविष्कार नहीं किया, हमने बीमारियां भी आविष्कृत की हैं। क्या होगा कारण? दवाइयां बढ़ें, तो बीमारियां कम होनी चाहिए; यह सीधा तर्क है। दवाइयां बढ़ें, तो बीमारियां बढ़नी चाहिए, यह क्या है? यह कौन सा नियम काम कर रहा है?
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