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श्रेष्ठ शासक काँ?-जो परमात्मा जैसा हो
अगर हिटलर मर जाए बचपन में ही, तो उसकी मां सोचेगी: बहुत बुरा हुआ। क्योंकि यह एक टुकड़ा है। लेकिन हिटलर ने जो किया, अगर उसकी मां जिंदा हो, तो सोचेगी : यह पैदा होते ही मर जाता, तो अच्छा था। लेकिन यह भी एक टुकड़ा है। और अभी इसके वृहत्तर...हिटलर भला समाप्त हो जाए, लेकिन हिटलर ने जो किया है, वह सक्रिय रहेगा। और यह भी हो सकता है कि दुनिया में अब कोई युद्ध न हो, सिर्फ इसलिए कि हिटलर हो गया। तब? तब हिटलर का होना अच्छा होगा या बुरा?
यह हो सकता है कि हिटलर के कारण ही युद्ध रुक जाए। और मुझे दिखता है! बुद्ध और महावीर के कारण युद्ध नहीं रुक सके; हिटलर के कारण रुक सकते हैं। क्योंकि हिटलर ने युद्ध को ऐसा विषाक्त रूप दे दिया, उसको उसकी चरम परिणति तक पहुंचा दिया, बीमारी आखिरी जगह पहुंच गई, कि अगर आदमी अब भी युद्ध करे, तो फिर हमें मानना चाहिए कि आदमी में आदमियत जैसा कुछ भी नहीं है। हो सकता है जगत में अब कोई विराट महायुद्ध न हो। लेकिन तब उसका सारा श्रेय हिटलर पर ही जाएगा।
कौन कह सकता है कि हिटलर का होना अच्छा हुआ या बुरा हुआ?
हम टुकड़े पर निर्णय करते हैं, एक खंड पर निर्णय करते हैं। जीवन अखंड धारा है। और अनंत है, अनादि है। न उसका प्रारंभ है, न उसका कोई अंत है। तो सिर्फ निर्णायक परमात्मा ही हो सकता है। जिस दिन सृष्टि समाप्त हो, उस दिन ही तय हो सकता है: क्या था ठीक, क्या था गलत। हम कैसे निर्णय ले सकते हैं?
लाओत्से जब कहता है कि सब ठीक है, तो वह यह कह रहा है कि निर्णय हम ले नहीं सकते। यह निर्णय नहीं है। जब लाओत्से कह रहा है, सब ठीक है, तो यह 'सब गलत है, उसके विपरीत निर्णय नहीं है। जब लाओत्से कह रहा है, सब ठीक है, तो वह यह कह रहा है कि मैं विराट की इच्छा के साथ अपने को एक करता हूं; मेरी अपनी कोई अलग इच्छा नहीं।
जीसस को सूली लग रही है। आखिरी क्षण में एक संदेह जीसस को पकड़ जाता है। जब हाथ पर कीले ठोंक दिए गए हैं, तब जीसस के मुंह से आह निकलती है और वे कहते हैं, हे परमात्मा, यह तू मुझे क्या दिखा रहा है?
कहीं छिपी कोई आकांक्षा रही होगी, कहीं दूर गहरे में, जिसका जीसस को भी पता न हो। ठोंके गए कीलों ने उसे जगा दिया होगा। कहीं किसी गहरे में प्रसुप्त कोई बीज रहा होगा, यह भरोसा रहा होगा कि ईश्वर मुझे सूली नहीं लगने देगा। कहीं गहरे में ईश्वर के प्रति यह धारणा रही होगी कि सूली तो बुरी है, तो मुझे ईश्वर सूली कैसे लगने देगा! सूली अच्छी है, ऐसा जीसस को खयाल नहीं रहा होगा। नहीं तो जीसस के मुंह से यह वचन न निकलता कि हे परमात्मा, यह तू मुझे क्या दिखा रहा है? इसमें ईश्वर पर संदेह तो हो गया। और इसमें सर्व-स्वीकार नहीं रहा। सूली बुरी हो गई। और जो हो रहा है, वह गलत हो रहा है।
लेकिन तत्क्षण जीसस जैसे व्यक्ति को बोध आ गया होगा। तत्क्षण जीसस को लगा होगा, यह भूल हो गई। यह तो भूल हो गई साफ, मैंने ईश्वर से अपने को ज्यादा बुद्धिमान मान लिया। मैंने निर्णय दे दिया कि जो हो रहा है, वह गलत हो रहा है; और जो होना चाहिए था सही, वह नहीं हो रहा है। इस जरा सी आह में मैं नास्तिक हो गया; मेरी श्रद्धा खंडित हो गई। तो तत्क्षण जीसस ने क्षमा मांगी है। उनकी आंखों से आंसू बह गए और उन्होंने कहा, हे परमात्मा, मुझे क्षमा कर! तेरी मर्जी ही मेरी मर्जी है। तेरी मर्जी पूरी हो; क्योंकि तेरी मर्जी ही शुभ है।
लाओत्से जब कहता है, सब ठीक है, तो वह यह कह रहा है, उस शाश्वत नियम के विपरीत हमारे वक्तव्य नासमझी से भरे हुए हैं। वह शाश्वत नियम इतना बड़ा है-होगा ही। हम उससे ही पैदा होते हैं। मेरी मृत्यु होगी कल, तो मैं कहूंगा बुरा हो रहा है। लेकिन जिससे मेरा जन्म हुआ था, उससे ही मेरी मृत्यु हो रही है। और जिस शाश्वत नियम से मैं प्रकट हुआ था, वही शाश्वत नियम मुझे वापस बुला रहा है। अगर उसके भेजने से मैं राजी था,
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