SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 304
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ताओ उपनिषद भाग २ बुद्धको मरा हुआ आदमी देख कर लगा कि मैं मर गया; अगर एक आदमी मर गया, तो मैं मर गया। मौत निश्चित है; तो अब जीवन बेकार हो गया। जितनी सचेतन आत्मा होगी, उतनी जल्दी मौत की छाया पकड़ेगी। आपको बूढ़े होने में अस्सी साल लगते हैं; बुद्ध बीस साल में बूढ़े हो गए। इससे आप यह मत समझना कि बूढ़े ही आदमी...। भारत में यह धारणा ही रही है सदा से कि वृद्ध को ही संन्यास लेना चाहिए। मेरे पास बहुत लोग आते हैं और वे कहते हैं कि आपको वृद्ध को ही संन्यास देना चाहिए, सत्तर-पचहत्तर साल पार कर जाए! मैं उनसे कहता हूं, तुम्हें पता नहीं कि आदमी कब वृद्ध हो जाए। पचहत्तर साल में भी कई लोग हैं, जो वृद्ध नहीं होते। कई क्या, बहुत लोग नहीं होते। आसान तो नहीं है वृद्ध हो जाना। बूढ़ा हो जाना बहुत आसान है; वृद्ध हो जाना उतना आसान नहीं। क्योंकि बूढ़ा होना तो सिर्फ उम्र से हो जाता है, वृद्ध होना तो बुद्धि की बात है। कोई आदमी बहुत पहले वृद्ध हो जाता है। बुद्ध बीस साल में वृद्ध हो गए। जो अस्सी साल के बूढ़े की भी बुद्धि में नहीं आता है, वह बीस साल के बुद्ध की बुद्धि में आ गया, वे वृद्ध हो गए। उन्हें दिखाई पड़ गया कि मौत सुनिश्चित है। अब कब होगी, यह बात गौण है। यह नासमझों पर छोड़ा जा सकता है कि वे तय करें कि कब होगी। मेरे लिए होगी, तो कब होगी, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अब मुझे यही जानना जरूरी हो गया कि क्या मेरे भीतर ऐसा कुछ है, जो अमृत है! अगर नहीं है, तो सब व्यर्थ है। अगर है, तो उसी को खोजने में सार्थकता है। लाओत्से कहता है, ताओ में जो प्रविष्ट हो जाता है, वह अविनाशी है। वह अमृत हो गया। उसकी फिर कोई मृत्यु नहीं है। और जो अविनाशी है, वह समग्र दुखों के पार हो जाता है। क्योंकि सारे दुख विनाश के दुख हैं। मेरा विनाशी होना ही मेरे दुख का कारण है। अविनाशी हो जाना ही मेरे आनंद का सूत्रपात है। आज इतना ही। बैठे लेकिन कोई उठे न। पांच-दस मिनट कीर्तन के बाद जाएं। 294
SR No.002372
Book TitleTao Upnishad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy