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Chapter 16 : Sutra 2
Knowing The Eternal Law
He who knows the Eternal Law is tolerant; Being tolerant, he is impartial; Being impartial, he is kingly; Being kingly, he is in accord with Nature; Being in accord with Nature, he is in accord with Tao; Being in accord with Tao, he is eternal; And his whole life is preserved from harm.
अध्याय 16 : सूत्र 2
शाश्वत नियम का ज्ञान
जो शाश्वत नियम को जान लेता है, वह सहिष्णु हो जाता है, सहिष्णु ठोकर वह निष्पक्ष हो जाता है, निष्पक्ष ठोकर वह समाढ जैसी गरिमा को उपलब्ध होता है, इस गरिमा के साथ प्रतिष्ठित ठो वह हो जाता है स्वभाव के साथ अनुरूप स्वभाव के अनुरूप हुआ वह ताओ में प्रविष्ट होता है, ताओ में प्रविष्ट वह अविनाशी : और इस प्रकार उसका समग जीवन दुव के पार हो जाता है।