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ताओ उपनिषद भाग २
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जो इस सबको देखता रहता ? कौन है भीतर जो जाग कर इस सबको देखता रहता हैं ? ध्यान उसका रखें। सारी ध्यान की धारा को उससे जोड़ दें। देखने वाले के साथ एक हो जाएं। करने वाले के साथ संबंध छोड़ दें; द्रष्टा के साथ एक हो जाएं। और तत्काल आप पाएंगे कि आप भीतर उससे जुड़ गए, जो आकाश है - निष्क्रिय । इस निष्क्रिय के साथ जुड़ते ही जीवन के सारे दुख विसर्जित हो जाते हैं; मृत्यु, परिवर्तन, सब स्वप्न हो जाते हैं।
लाओत्से कहता है, यही है शाश्वत नियम ।
आज इतना ही। लेकिन बैठें। पांच मिनट कीर्तन करके जाएं। और कीर्तन में भी खयाल रखें, जो किया जा रहा है, वह आप नहीं हैं; जो हो रहा है, वह आप नहीं हैं।
बैठे रहें! जिनको कीर्तन करना है, वे ऊपर आ जाएं या नीचे आ जाएं।