________________
Chapter 16: Sutra 1
Knowing The Eternal Law
Attain the utmost in passivity, Hold firm to the basis of quietude. The myriad things take shape and rise to activity, But I watch them fall back to their repose. Like vegetation that luxuriously grows, But returns to the root (soil) from which it springs. To return to the root is Repose; It is called going back to one's Destiny. Going back to one's Destiny is to find the Eternal Law. To know the Eternal Law is Enlightenment. And not to know the Eternal Law is to court disaster.
अध्याय 16: सूत्र1
शाश्वत नियम का ज्ञान
निष्क्रियता की चरम स्थिति को उपलब्ध करें,
और प्रशांति के आधार से दृढ़ता से जुड़े रहें। सभी चीजें रूपायित ठोकर सक्रिय होती है, लेकिन हम उन्हें विश्रांति में पुनः वापस लौटते भी देखते हैं। जैसे वनस्पति-जगत लठलठाती वृद्धि को पाकर फिर अपनी उदगम-भूमि को लाँट जाता है। उदगम को लाँट जाना विश्रांति है, इसे ही अपनी नियति में वापस लौटना करते हैं। स्वयं की नियति को पुनः उपलब्ध हो जाना शाश्वत नियम को पा लेना है। शाश्वत नियम को जानना ही ज्ञान से आलोकित छोना है। ऑर शाश्वत नियम का अज्ञान ही समस्त विपत्तियों का जनक है।