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सम्राट तो महल आया भागा हुआ कि खबर कर दे। ले गया दरबारियों को। लेकिन फकीर फिर नहीं खोजा जा सका। दूसरे भिखारियों ने खबर दी कि वह इतना कह गया है कि मेरे गुरु की आज्ञा थी कि घोषणा मत करना और भूल से मुझसे घोषणा हो गई। सम्राट से मैंने बात कर ली। और सम्राट मेरी आंखों में झांक लिया। मेरे गुरु ने कहा था, आखें झुका कर रखना कि कोई तेरी खाई को न देख ले। और मेरे गुरु ने कहा था कि भिखारी के वस्त्रों में रहना, ताकि मटमैले जल की भांति!
लाओत्से ने ये आंतरिक संकेत दिए।
संत की पहचान : सजन व अविणीत, अरुंधाव्य व लीलामय
आज इतना ही। शेष कल। लेकिन पांच मिनट बैठे। कीर्तन के बाद ही जाएं।