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Chapter 14 : Part 2
Pre-Historic Origins
Neither by its rising is there light, Nor by its sinking is there darkness. Unceasing, continuous, it can not be defined. And it reverts again to the realm of nothingness. That is why it is called the form of the Formless; The image of nothingness. That is why it is called the Elusive, Meet it, and you do not see its face; Follow it, and you do not see its back, He who holds fast to the Tao of old, In order to manage the affairs of Now, Is able to know the Primeval beginnings, Which are the continuity (tradition) of Tao.
अध्याय 14 : बवंड 2
पूर्व - ऐतिहासिक नोत
न उसके प्रकट होने पर होता प्रकाश, न उसके डूबने पर ठोता अंधेरा। ऐसा है वह अक्षय और अविच्छिन्न रहस्य, जिसकी परिभाषा संभव नहीं है।
और पुनः-पुनः वह शून्यता के आयाम में प्रविष्ट हो जाता है। इसीलिए निराकार ही उसका आकार कहा जाता है। वह शून्यता की प्रतिमूर्ति हैं। इन सब कारणों से उसे दुर्गम्य भी कहा जाता है। उससे मिलो, फिर भी उसका चेहरा दिखाई नहीं पड़ता, उसका अनुगमन को, फिर भी उसकी पीठ दिखाई नहीं पड़ती। वर्तमान कार्यों के समापन के लिए जो व्यक्ति पुरातन व सनातन ताओ को सम्यकरुपेण धारण करता है, वह उस आदि स्रोत को जानने में सक्षम हो जाता है जो कि ताओ का सातत्य हैं।