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________________ Download More Osho Books in Hindi Download Hindi PDF Books For Free सत्य या सत्ता अनंत है, इस अर्थों में। इसलिए परमात्मा जो है, वह है। और साथ ही वह भी है, जो पार फैला हुआ है। वह जो बियांड एंड बियांड है, वह इसके अंतर्गत स्वीकृत है। ये दो चीजें नहीं हैं। इसलिए हम कभी ऐसा नहीं कह सकते कि यही है परमात्मा। इतना ही कह सकते हैं, यह भी है परमात्मा; और भी पार है, और भी पार है। जो हम जानते हैं, वह भी परमात्मा है; जो हम नहीं जानते हैं, वह भी परमात्मा है। जो किसी ने जाना, वह भी परमात्मा है; जो किसी ने नहीं जाना, वह भी परमात्मा है। और वह भी, जो शायद कोई कभी नहीं जानेगा। अज्ञात ही नहीं है वह, अज्ञेय भी है। नॉट ओनली अननोन, बट अननोएबल आल्सो। क्योंकि अननोन हम उसे कहते हैं, जिसे कभी नोन बनाया जा सकेगा। आज अननोन है, अज्ञात है, कल ज्ञात हो जाएगा। परमात्मा साथ ही अननोएबल भी है, अज्ञेय भी है। ऐसा भी है कि कभी ज्ञात नहीं होगा। वह जो सदा शेष रह जाएगा, सदा शेष रह जाएगा, वह जो सदा पीछे मौजूद रह जाएगा, उसे भी सम्मिलित करना पड़ेगा। तो कहना पड़ेगा कि यह तो परमात्मा है ही, इसके पार जो है, वह भी परमात्मा है। और जो सदा ही पार रह जाता है, वह भी परमात्मा है। फिर कल बात करेंगे। इस पुस्तक का श्रेय जाता है रामेन्द्र जी को जिन्होंने आर्थिक रूप से हमारी सहायता की, आप भी हमारी सहायता कर सकते हैं -देखें आखिरी पेज
SR No.002371
Book TitleTao Upnishad Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, K000, & K999
File Size4 MB
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