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________________ Download More Osho Books in Hindi Download Hindi PDF Books For Free नसरुद्दीन के गांव में एक नया पुरोहित आया है। मस्जिद में वह बोला है पहले ही दिन । बूढ़ा नसरुद्दीन है, लौटते वक्त मस्जिद से उसने सोचा, इस बूढ़े से पूछे लें कि कैसा लगा प्रवचन पूछा उसने कि मुल्ला, कैसा लगा प्रवचन? तो मुल्ला ने कहा, बहुत अदभुत था, वंडरफुल! वी नेवर न्यू व्हाट सिन इज़ बिफोर यू केम! हमें पता ही नहीं था कि पाप क्या है। तुम्हारे आने के पहले हमें पता ही नहीं था कि पाप क्या है। जब से तुम आए, पाप का पता चला। पाप का पता चलने के लिए भी तो पाप की व्याख्या साफ होनी चाहिए! नसरुद्दीन एक दिन अदालत के बाहर अपने वकील को पकड़ा है और जाकर कहा कि सुनो, तलाक का क्या नियम है? डायवोर्स कैसे किया जाए? उस वकील ने कहा, क्या मतलब नसरुद्दीन, क्या हो गया? नसरुद्दीन ने कहा, मेरी पत्नी को कोई शिष्टाचार नहीं आता; टेबल मैनर्स तो बिलकुल ही नहीं हैं। सारे घर की बदनामी हो रही है। गांव भर में प्रतिष्ठा धूल में मिली जा रही है। तलाक लेना जरूरी है। वकील ने पूछा, शादी हुए कितने दिन हुए? नसरुद्दीन ने कहा, कोई तीस साल हुए। उस वकील ने कहा, तीस साल से... तो तीस साल से तुम यह अशिष्टाचार सह रहे हो, तो अब क्यों परेशान हो गए? नसरुद्दीन ने कहा, तीस साल से पता नहीं था; आज ही एक किताब में पढ़ा। आज ही एक किताब में पढ़ा, एक एटीकेट की किताब हाथ में लग गई; उसमें देखा कि सब बर्बाद हो गया, पत्नी में बिलकुल टेबल मैनर्स ही नहीं हैं। हमें पता कब चलता है? व्याख्याएं ! लाओत्से ने कहा है, ए इंच डिस्टिंक्शन, एंड हेवन एंड हेल आर सेट एपार्ट। एक इंच भर का फासला किया तुमने विचार में, और स्वर्ग और नर्क की दूरी पैदा हो जाती है। लाओत्से कहता था, डिस्टिंक्शन ही मत बनाना। लाओत्से कहता था, मत कहना कि यह ठीक है और यह गलत है। क्योंकि तुमने जैसे ही भेद किया, वैसे ही सब नष्ट हो जाता है। अभेद में जीना । ये ग्रंथियां कैसे सुलझेंगी? हमारा ढंग है सुलझाने का कि एक-एक ग्रंथि को बदलें, उसकी विपरीत चीज लाएं। अगर क्रोध ज्यादा है, तो क्षमा लाओ पकड़ कर । अगर हिंसा ज्यादा है, तो अहिंसा की प्रतिज्ञा ले लो। अगर लोभ ज्यादा है, तो त्याग करो, थोड़ा दान कर दो। हम इस तरह सुलझाते हैं। इस तरह कुछ भी नहीं सुलझता । लाओत्से की दृष्टि में सुलझाव का अर्थ है, इस पूरी स्थिति को देखो । ये सब उलझाव तुम्हारे डिस्टिंक्शन से बने हैं। यह तुमने जो भेद किया है पाप और पुण्य का, यह तुमने भेद किया है सत्य और असत्य का, यह तुमने भेद किया है प्रेम और घृणा का, इससे सारे के सारे उलझाव हैं। सारा भेद छोड़ दो और सरलता में जीओ, स्वभाव में जीओ, जो हो। स्वभाव में जीओ, बहो; कोई भेद मत करो । फिर कोई उलझन नहीं है। लाओत्से से कोई पूछे अगर कि तूने कभी किसी पाप का प्रायश्चित किया? तो लाओत्से कहेगा, नहीं, क्योंकि मुझे पता नहीं पाप क्या है। यह नहीं कि मैंने पाप न किया हो। लाओत्से कहता है, मुझे पता नहीं कि पाप क्या है। कोई लाओत्से से पूछे कि तूने पुण्य किए, बहुत उसके फल पाएगा! लाओत्से कहता है कि नहीं, मुझे पता नहीं कि पुण्य क्या है; फल मिल भी सकते हैं, मुझे पता नहीं। मैं लेखा-जोखा नहीं रखा, मैंने हिसाब नहीं रखा। जो सहज मुझसे हुआ है, वह मैंने किया है। न कभी पछताया और न कभी आत्म-प्रशंसा में अपनी पीठ ठोंकी। वे दोनों काम मैंने नहीं किए हैं। गुत्थियां सुलझेंगी, अगर हम गुत्थियों को पैदा करने की कीमिया जो है हमारे भीतर, वह समझ जाएं। कीमिया क्या है? हर चीज को हम दो में तोड़ कर चलते हैं। पहले तोड़ते हैं, फिर कदम उठाते हैं। और तब हमारी दिक्कतें वैसी हो जाती हैं, जैसे यूनान में एक विचारक हुआ, झेनो। एक कीमती विचारक हुआ ग्रीक । और यूनान ने कुछ थोड़े से जो बहुत बुद्धिमान आदमी दिए हैं, झेनो उनमें एक है। झेनो के पैराडॉक्सेस बहुत प्रसिद्ध हैं। झेनो कहता है, एक मील का रास्ता है; पहले तुम आधा मील चलो, और हर बार आधा-आधा चलो, तो तुम कभी एक मील का रास्ता पूरा न कर पाओगे। कभी! अनंत काल में भी ! एक मील का रास्ता कोई बड़ा रास्ता नहीं है। पंद्रह मिनट में आप पार कर जाएंगे, पैदल घसिटते हुए चलें तो भी। झेनो कहता है, पहले आधा पार करो। क्योंकि बुद्धि बांट कर चलती है; इट डिवाइड्स पहले आधा बांटो, आधा पार करो। फिर जो बचे, उसको आधा बांटो, उसको पार करो। फिर जो बचे, उसको आधा बांटो और हमेशा कुछ बचेगा, उसको आधा बांटते चले जाना। और हमेशा कुछ बचेगा, उसको आधा बांटते चले जाना। तुम अनंत काल में एक मील का रास्ता पार न कर पाओगे । गणित के हिसाब से बात ठीक है। गणितज्ञ इसका जवाब नहीं दे सकता। यह पार हो नहीं सकता। झेनो कहता है, एक तीर तुमने अपनी प्रत्यंचा पर खींचा और चलाया। तीर के चलने के लिए जरूरी है...समझें कि बारह बजे तीर चला। तो बारह बजे अ नाम की जगह पर तीर है; बारह बज कर एक मिनट पर उसे कहां होना चाहिए? ब नाम की जगह पर होना चाहिए। बारह बज कर दो मिनट पर स नाम की जगह पर होना चाहिए। तभी तो चल पाएगा। झेनो कहता है कि बारह बजे अ नाम की जगह पर है, तो ठहरा हुआ है। बारह बजे अ नाम की जगह पर ठहरा हुआ है, बारह बज कर एक मिनट पर ब नाम की जगह पर इस पुस्तक का श्रेय जाता है रामेन्द्र जी को जिन्होंने आर्थिक रूप से हमारी सहायता की, आप भी हमारी सहायता कर सकते हैं - देखें आखिरी पेज
SR No.002371
Book TitleTao Upnishad Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, K000, & K999
File Size4 MB
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