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________________ Download More Osho Books in Hindi Download Hindi PDF Books For Free नहीं, कोई विद्यापीठ नहीं, जहां हम लोगों को क्रोध करने की ट्रेनिंग दे रहे हों। लोग क्रोध किए चले जा रहे हैं। और मंदिर और मस्जिद और गुरुद्वारे और चर्च, सब समझाए जा रहे हैं कि क्रोध मत करो। सुना है मैंने कि एक चर्च में एक पादरी लोगों को समझा रहा है। लोगों को समझा रहा है कि कैसी भी स्थिति हो, सदभाव रखना चाहिए। तभी एक मक्खी उसकी नाक पर आकर बैठ गई। उसने कहा, फॉर इग्जाम्पल, उदाहरण के लिए, यह मक्खी मेरे नाक पर बैठी है, लेकिन इसको मैं दुश्मन नहीं मानता, और इसे मैं दुश्मन की तरह हटाता भी नहीं हूं। मक्खी को भी परमात्मा ने बनाया; यह भी उसकी सुंदरतम कृति है। और तभी अचानक उसने कहा कि धत तेरे की! ऐसी की तैसी, मक्खी नहीं है, मधुमक्खी है! सब गड़बड़ हो गया। वह मक्खी थी भी नहीं। लेकिन मधुमक्खी को भी परमात्मा ने ही बनाया हुआ है। लेकिन वह सज्जन मक्खी के भ्रम में उपदेश दिए जा रहे थे। सब जगह समझाया जा रहा है, क्रोध मत करो, यह मत करो, वह मत करो। और हम वही तो कर रहे हैं। किसके खिलाफ हम कसम लेंगे फिर? कसम अपने खिलाफ है। और अपने खिलाफ कोई कसम बचेगी नहीं। और ध्यान रखें, कसम हमेशा आपका कमजोर हिस्सा लेता है। यह भी खयाल रख लें, जब भी आप कसम लेते हैं, आपके भीतर दो हिस्से हो गए। यू हैव डिवाइडेड योरसेल्फ। और जो हिस्सा कसम लेता है, वह कमजोर है, माइनर है। क्योंकि मजबूत हिस्से को कसम कभी लेनी नहीं पड़ती, वह बिना ही कसम के काम करता है। उसको जरूरत ही नहीं है कसम लेने की। आपको कसम लेनी पड़ती है कि क्रोध जारी रखेंगे? आपको कसम लेनी पड़ती है कि ब्रह्ममुहर्त में कभी न उठेंगे? कोई कसम नहीं लेनी पड़ती। वह जो मेजर हिस्सा है आपका, वह बिना कसम के चलता है। वह आपके कसम-वसम की लेने की उसको कोई जरूरत नहीं है। नब्बे-निन्यानबे प्रतिशत वह है। उसे क्या कसम लेनी? कसम जब भी आप लेते हो, तो माइनर पार्ट, कमजोर हिस्सा कसम लेता है। और कमजोर हिस्सा कितनी देर टिकेगा मजबूत हिस्से के सामने! वह ज्यादा देर टिकने वाला नहीं है। वह नई तरकीब निकाल लेगा कसम को तोड़ने की। वह कहेगा, मधुमक्खी है, मक्खी नहीं है। वह मक्खी के लिए समझा रहा था; मधुमक्खी के लिए समझा भी नहीं रहे थे। सुना है मैंने कि एक ईसाई फकीर नियम से जीसस के वचनों का पालन करता था। एक आदमी ने उसके गाल पर एक चांटा मारा, तो उसने दूसरा गाल कर दिया। क्योंकि जीसस ने कहा है, जो तुम्हारे एक गाल पर चांटा मारे, दूसरा कर देना। मगर वह आदमी भी जिद्दी था। उसने दूसरे गाल पर भी चांटा मारा। यह इसने सोचा नहीं था। और जीसस ने यह कहा भी नहीं है कि वह दूसरे पर भी मारेगा। इतना ही कहा है कि तुम दूसरा कर देना, तो वह तो पिघल जाएगा, पैरों पर गिर पड़ेगा। इसने कहा, हद्द हो गई। उसने दूसरे पर भी दुगुनी ताकत से चांटा मारा। अब इसकी समझ में भी न आया, क्योंकि ईसा का कोई वचन नहीं है कि तीसरा गाल कर देना, तीसरा कोई गाल भी नहीं है। तो उसने उठा कर तीसरा चांटा उसको मारा। पर उस आदमी ने कहा कि आप यह क्या कर रहे हैं? जीसस को भल गए? उसने कहा, नहीं, भूले नहीं। लेकिन दो ही गाल हैं। और तीसरे के बाबत कोई इंस्ट्रक्शन नहीं है। अपनी ही बुद्धि से चलना पड़ेगा। मेरी बुद्धि यह कहती है कि अब मारो। यह बुद्धि तब भी मौजूद थी, जब दो गाल पर चांटा मारा गया। यही असली बुद्धि है, यह इस आदमी की अपनी बुद्धि है। वक्त पर यही काम पड़ेगी, जब मुसीबत आएगी। वह जो हमारा कमजोर हिस्सा है, वह केवल शब्दों से जीता है। सुने हुए वचन, पढ़े हुए वचन मस्तिष्क में बैठ जाते हैं। फिर हम उन्हीं को आधार बना कर कसमें खाते हैं, आचरण को बनाते हैं। लाओत्से कहता है कि वह उनको उनकी जानकारी पर चलने से रोकते हैं। वे कहते हैं, जानकारी पर मत चलो, ज्ञान को पा लो। फिर चलना तो हो जाएगा। “जब अक्रियता की ऐसी अवस्था उपलब्ध हो जाए, तब जो सुव्यवस्था बनती है, वह सार्वभौम है।' अक्रियता की! नॉन-एक्शन की! ज्ञान अक्रिय है। ज्ञान कोई क्रिया नहीं है, अवस्था है। जब कोई व्यक्ति अंतर-ज्ञान को उपलब्ध होता है, तो वह एक अवस्था है, एक ज्योतिर्मय अवस्था। सब भर गया प्रकाश से, साफ-साफ दिखाई पड़ने लगा। अंधेरे हट गए, धुआं नहीं रहा आंखों में। दृष्टि स्वच्छ हो गई। चीजें पारदर्शी हो गईं, ट्रांसपैरेंट। सब साफ-साफ दिखाई पड़ने लगा। यह अवस्था है; कोई क्रिया नहीं है इसमें, यह अवस्था है। आचरण के तक के लिए कोई क्रिया नहीं, क्योंकि अब आचरण की कोई क्रिया की जरूरत न रही। अब यह जो अवस्था है प्रकाश की, यह वहीं चलाएगी, जो चलने योग्य है। अब पैर वहीं उठेंगे, जहां मंदिर है। अब पैरों को वेश्यालय से लौटाना न पड़ेगा। इस पुस्तक का श्रेय जाता है रामेन्द्र जी को जिन्होंने आर्थिक रूप से हमारी सहायता की, आप भी हमारी सहायता कर सकते हैं -देखें आखिरी पेज
SR No.002371
Book TitleTao Upnishad Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, K000, & K999
File Size4 MB
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