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ओशो से प्रश्नोत्तर
भरी।
साक्षी की उपस्थिति मन की अनुपस्थिति है शिथिल, शांत और अपनी नियति की ओर मिलेगा; अपने साथियों से तिरस्कार
और साक्षी की अनुपस्थिति मन की बहता हुआ होता है। देखने के अतिरिक्त सहो..." यह कहते-कहते उसकी आवाज उपस्थिति है। तुम्हें और कुछ नहीं करना है।
लड़खड़ाने लगी और उसने लंबी सांस तो जिस क्षण तुम देखना शुरू करते हो, धीरे-धीरे जैसे तुम्हारा द्रष्टा मजबूत होता पैडी ने नीलामी में एक तोता खरीदा। “अच्छा," दूसरा भिखारी बोला, “यदि है, तुम्हारा मन क्षीण हो जाएगा। जिस क्षण उसने नीलाम कराने वाले से पूछा : “इस तुम्हें ऐसा ही लगता है तो तुम अपने लिए मन को बोध होता है कि द्रष्टा परिपक्व हो तोते पर मैंने काफी पैसे लगाए हैं-तुम्हें कोई नौकरी क्यों नहीं ढूंढ लेते?" गया तो मन तत्क्षण एक अच्छे नौकर की पक्का है कि यह बोल सकता है?" "क्या!" पहला भिखारी आश्चर्य से तरह समर्पण कर देता है। वह एक विक्रेता ने जवाब दिया, “निश्चित ही मुझे बोला, “और अपनी असफलता स्वीकार यंत्र-रचना है। यदि मालिक आ पहुंचे, तो पूरा विश्वास है; यही तो तुम्हारे खिलाफ कर लूं?" मशीन का उपयोग किया जा सकता है। बोली लगा रहा था!" यदि मालिक मौजूद न हो या गहरी नींद
__ मन मालिक होने का आदी हो गया है। में सोया हो तो मशीन अपने आप से जो ऐसी मन की बेहोशी है और ऐसी मन उसके होश ठिकाने लगाने में थोड़ा समय कर सकती है करती चली जाती है। न तो की मूढ़ताएं हैं।
लगेगा। साक्षित्व पर्याप्त है। यह एक बड़ी कोई आदेश देने को है, न कोई यह कहने
शांत प्रक्रिया है, लेकिन इसके परिणाम को है कि, “नहीं, रुक जाओ। यह काम मैंने सुना है, आयरलैंड के नास्तिकों ने विराट हैं। जहां तक मन के अंधकार को नहीं करना है।" फिर मन को धीरे-धीरे जब देखा कि आस्तिकों ने डायल-ए-प्रेयर मिटाने का संबंध है, साक्षित्व से बेहतर विश्वास हो जाता है कि वही मालिक है, सर्विस शुरू की है, तो उन्होंने भी शुरू कर कोई और उपाय नहीं है। वास्तव में, ध्यान
और हजारों वर्षों से वह तुम्हारा मालिक दी, जबकि वे नास्तिक हैं। प्रतियोगी मन की एक सौ बारह विधियां हैं। मैं उन सब रहा है।
है...उन्होंने भी डायल-ए-प्रेयर सर्विस विधियों से गुजरा हूं-मात्र बौद्धिक रूप तो जब तुम साक्षी होने का प्रयास करते शुरू कर दी है। जब तुम उन्हें फोन करो, से नहीं। हर विधि से गुजरने और उसके हो तो मन संघर्ष करता है, क्योंकि यह कोई भी जवाब नहीं आता।
सार को खोजने में मुझे वर्षों लगे। उसके जीवन-मरण का प्रश्न है। वह
और एक सौ बारह विधियों से गुजरने बिलकुल भूल ही चुका है कि वह केवल दो भिखारी एक रात आग के पास बैठे के बाद, मैं हैरान हुआ कि सब का सार सेवक है। तुम इतने समय से अनुपस्थित थे। उनमें से एक बहुत ही उदास था। साक्षित्व ही है; विधियों के गैर-अनिवार्य हो-तुम्हें वह पहचानता ही नहीं। “जानते हो जिम," वह बोला, “भिखारी अंग तो भिन्न हैं, लेकिन सबका केंद्र इसीलिए साक्षी और विचारों में संघर्ष की जिंदगी इतनी मजेदार नहीं होती जितनी साक्षित्व है। चलता है। लेकिन अंतिम विजय तुम्हारी ही लोग कहते हैं। बगीचों के बैंचों पर या तो मैं तुमसे कह सकता हूं कि पूरे विश्व होगी, क्योंकि स्वभाव और अस्तित्व दोनों किसी ठंडे अस्तबल में रात बिताओ। में एक ही ध्यान है, और वह है साक्षित्व ही चाहते हैं कि तुम मालिक बनो और मन पैदल चलते रहो और हमेशा पुलिस से की कला। वही सब कुछ कर सेवक हो। तब चीजें तारतम्यता में आ बचते-बचाते रहो। एक शहर से दूसरे देगी-तुम्हारी समग्र सत्ता का जाती हैं। तब मन पथ-भ्रष्ट नहीं हो शहर में ठुकराए जाओ, और इस बात का रूपांतरण-और सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् सकता। तब सब कुछ अस्तित्वगत रूप से ठिकाना नहीं कि अगला भोजन कहां से के द्वार खोल देगी। 12
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