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________________ -क्षुल्लकशिष्य वसंतपुर में देवप्रिय नामक श्रेष्ठी रहता था। युवावस्था में उसकी स्त्री का मरण हुआ और उससे उसे वैराग्य हुआ। इस कारण अपने आठ वर्षीय पुत्र सहित उसने दीक्षा ग्रहण की। देवप्रिय बहुत अच्छी तरह से चारित्र पालते थे परंतु बालक जिसका नाम क्षुल्लक था वह जैन आचार पालन में शिथिल था। वह परिषहों को सहन नहीं कर पाता था। जूते बिना चलना उसको मुश्किल लगता था इसलिये एक बार अपने साधू पिता को उसने कहा, 'ब्राह्मणों का दर्शन श्रेष्ठ लगता है, जिसमें पाँवों की रक्षा हेतु जूते पहनने की विधि है। यह सुनकर देवप्रिय मुनि ने क्षुल्लक तो बालक है और कुछ अंश में पुत्र के प्रति राग के कारण उसे जूते पहनने की छूट दी।' थोड़े दिन बाद क्षुल्लक ने अपने गुरु पिता को कहा, 'हे पिता! धूप में बाहर निकलते ही मेरा सिर तप जाता हैं । तापसों का धर्म ठीक हैं क्योंकि वे सिर पर छत्र रखते हैं। यह सुनकर गुरु ने - इस क्षुल्लक में परिपक्वता नहीं है और यदि छाते वगैरह की अनुमति उसकी जरूरत अनुसार नहीं दूंगा तो शायद दीक्षा छोड देगा। ऐसा समझकर कुछ श्रावकों को कह कर उसे छाता दिलवाया।' कई माह के पश्चात् क्षुल्लक ने पुनः कहा 'गोचरी के लिये घर घर भटकना बडा मुश्किल लगता है। पंचाग्नि साधन करनेवाला आचार मुझे श्रेष्ठ लगता है क्योंकि कई लोग - उनके समक्ष आकर भिक्षा दे जाते हैं। गुरू ने पूर्वानुसार सोचकर भिक्षा लाकर स्वयं उसे देने लगे। इससे क्षुल्लक मुनि ने गोचरी के लिए जाना बंद कर दिया। एक दिन सवेरे उठकर क्षुल्लक मुनि ने शाक्यमत की प्रशंसा करते हुए कहा, 'पृथ्वी पर संथारा करने से मेरा शरीर दुखता है, सो सोने के लिये एक पलंग हो तो कितना अच्छा।' इस कारण गुरु ने उपाश्रय में से लकड़े की चौकी सोने के लिए उसे दी। तत्पश्चात् पुत्र मुनि को स्नान बिना ठीक न लगा तो उसने शौचमूल धर्म की प्रशंसा की। तब पिता ने उबाला हुआ पानी लाकर उससे स्नान करने की अनुज्ञा दी। समय बीतने पर लोच सहन नहीं कर सकने के कारण उस्त्रे से मुण्डन कराने की भी अनुमति दी। इस प्रकार करते क्षुल्लक मुनि युवावस्था में पहुंचे। एक बार उसने गुरु जिन शासन के चमकते हीरे • ३०७
SR No.002365
Book TitleJinshasan Ke Chamakte Hire
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVarjivandas Vadilal Shah, Mahendra H Jani
PublisherVarjivandas Vadilal Shah
Publication Year1997
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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