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जम्बूस्वामी की कथा
श्री उपदेश माला गाथा ३७
के सुखी घरों को उजाड़ने की लालसा अपने मन में बसाये रखते हैं। इसीलिए हे प्रभव ! अगर जम्बूकुमार तुम्हारे कहने से मुनिदीक्षा ले लेंगे तो अवश्य ही उन्हें उस किसान की तरह बाद में पछताना पड़ेगा।" प्रभव - " बहन ! वह किसान कौन था, जो बाद में पछताया।" इस पर समुद्रश्री कहने लगी
"मरुदेश में बग नामक एक किसान रहता था। वह खेती करता था। अपने खेत में वह कोद्रव, कांग आदि अनाज बोया करता था। एक बार वह अपनी लड़की के ससुराल गया। वहाँ उसे गुड़मिश्रित मालपूए खिलाये गये। उसे मालपुए बड़े अच्छे लगे। उसने जाना कि मालपूए में डाले हुए गुड़ की उत्पत्ति गन्ने के रस से होती है। यह जानकर मन में निश्चय किया मैं भी अपने खेत में इस बार गन्ने बोऊंगा और ऐसे मधुर रस से परिपूर्ण गुड़ के मालपूए खाऊंगा। " घर आकर अपनी पत्नी को उसने अपना निश्चय सुनाया। उसने उसे बहुत मना किया; परंतु हठी किसान टस से मस न हुआ। उसने अपनी हठाग्रही बुद्धि से चलकर अनाज के लहलहाते हरे भरे खेत को काटकर नष्ट कर दिया और उसकी जगह ईख बोयी । परंतु मरुभूमि में इतना जल कहाँ था कि ईख ऊग सके ! फलतः ईख भी नहीं ऊगी और अनाज की पहले बोई हुई फसल भी नष्ट कर दी गयी थी। यह देखकर वह किसान सिर धुन - धुनकर अपने भाग्य को कोसने और पछताने लगा"हाय! मैं क्या जानता था कि यहाँ ईख नहीं ऊगेगी! मैंने मिष्ट भोजन की आशा से मूर्खतावश पहले की पकी हुई अनाज की फसल भी अपने हाथों से नष्ट कर डाली।'
"हे प्राणवल्लभ ! आप भी उस किसान की तरह बाद में पश्चात्ताप करेंगे। अतः अप्राप्त अधिक सुख की आशा में प्राप्त सुख को ठुकराने का विचार आपको छोड़ देना चाहिए।"
जम्बूकुमार ने उत्तर दिया- "प्रिये ! तुम्हारा कहना एक दृष्टि से ठीक है; परंतु दुःख तो उसी के पल्ले पड़ता है, जो लौकिक सुखों की आशा करता है। मगर जो यह विश्वास करके चलता है कि
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"ज्ञानात्परं धनं न, समतासदृशं सुखं न, जीवितसममाशीर्वचनं न, लोभसदृशं दुःखं न, आशासदृशं बन्धनं न, स्त्री सदृशं च जालबन्धनं न वर्तते।' 'ज्ञान से बढ़कर कोई धन नहीं है, समत्व से बढ़कर कोई सुख नहीं है, 'चिरंजीवी बनो' इसके समान कोई आशीर्वाद नहीं, लोभ के समान कोई दुःख नहीं, आशा के समान कोई बंधन नहीं, और स्त्री के समान कोई जाल नहीं। उसे कभी दुःख प्राप्त नहीं होता । परंतु इस विश्वास को छोड़कर जो मनुष्य स्त्रियों में अत्यंत आसक्ति करता है, वह उस कौए के समान महान् अनर्थ पाता
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