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स्वाहा। ॐ समयसौमय समयकरी महासमये स्वाहा। ॐ श्रियै स्वाहा। ॐ श्री करी स्वाहा । ॐ धनकरी स्वाहा। ॐ धान्यकरी स्वाहा। मूलमंत्र ॐ श्रिये श्री करी धनकरी धान्यकरी रत्नवर्षिणी साध्यमंत्र ॐ वसुधारे स्वाहा। हृदयं ॐ लक्ष्मी स्वाहा। ॐ उपहृदयः ॐ लक्ष्मी भूतलनिवासिने स्वाहा। स यथा ॐ यानपात्रावहे स्वाहा। मा दूरगामिनी. अनुत्पन्नानां द्रव्यानां उत्पादनि उत्पन्नां द्रव्याणां वृध्धिकरी, ॐ टिलि-टिलि, टेलि-टेलि, इत-इत, आगच्छ आगच्छ भगवति, वसुधारे, मा विलंबय मा विलंबय, मनोरथं मे परिपूरय।
इन्द्रो वैश्रमणश्चैव, वरूणो धनदो यथा।
मनोनुगामिनी सिध्धि, चिन्तयति सदा नृणां ।। चिन्तितं सततं मम प्रयच्छन्तु हिरण्यं सुवर्णं प्रदापय स्वाहा । वसु स्वाहा। वसुपतये स्वाहा । इन्द्राय स्वाहा। यमाय स्वाहा। वरूणाय स्वाहा । वैश्रमणाय स्वाहा । इप्सितं मनोरथं मे परिपूरयति। मूल विद्या नमो रत्नत्रयाय, नमो देवि धनद दुहिते वसुधारे धनधारा पातय पातय भगवति वसुधारे मद्भवने प्रविश्य महाधन धान्य धारा पातय कुरू कुरू। ॐ महावृष्टि निपाती निवसु स्वाहा। ॐ वसूधारे सर्वार्थ साधिनि साधय-साधय शुध्धे विशुध्धे, शिवंकरि, शान्तिकरि, भयविनाशिनि, सर्व दुष्टान् भंजय-भंजय, स्तंभय-स्तंभय श्री सकल संघस्य शान्तिं, तुष्टिं, पुष्टिं, ऋधिं, वृध्धिं सुख सौभाग्यं रक्षां कुरू कुरू राजा प्रजा सर्वजन वश्यं कुरू कुरू मम शान्ति सुख सौभाग्यं रक्षां कुरू कुरू स्वाहा। अर्हतां सम्यक् परिपूजां कृत्वा षण्मासान आवर्तयेत् ततः इयं वसुधारा सिध्धा वति इति।।
वसुधारा मूल मंत्रः ॐ ऐं ह्रीं क्ली हमाँ श्री कनकधारा रूप्य मणि मुक्ताफल सुख धन चिन्तामणि प्राप्ति कारिणी विद्या धारिणी धनदपुत्री श्री वसुधारा सुखकारिण मम संपदानी देनारी स्वामिनी तुभ्यं नमो नमः स्वाहा। इति श्री आर्य वसुधारायाः संक्षिप्त पाठः परि समाप्तः।
विधि-विधानपूर्वक लाई गई औषधियों द्वारा परमात्मा का विलेपन और जल र सतत छः महीने तक श्रद्धापूर्वक अभिषेक करने से असाध्य रोगी भी ठीक होने के आश्चर्यकारी परिणाम देखने में आये हैं। गुड के पानी, मिश्री का पानी, हल्दी मिश्रित जल, केसर मिश्रित जल, नालीले