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________________ आवश्यकता बताई गई है। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है?यह भी आश्चर्य जनक और शोध का विषय है कि भारतवर्ष में 12 ज्योतिर्लिंग एवं 52 शक्तिपीठ क्या हैं? कहीं वह आधुनिक युग के अणु संयत्र और पावर हाउस का स्रोत तो नहीं है। पानी द्वारा ही इस शक्ति को नियंत्रित रखा जा सकता है। शक्ति के दो प्रकार होते हैं, दैविक और आसुरी । अगर उसे कन्ट्रोल नहीं किया गया तो शक्ति का रूपान्तर होने का खतरा बढ़ जाता है, जो विनाशकारी हो जाता है। हाल ही में हमने अनुभव किया कि जापान में सूनामी के कारण आवश्यक पानी न मिलने पर जीव जगत को कितना पारावार नुकसान झेलना पड़ा। शास्त्रों में तीर्थों के जल का प्रभाव बताया गया है जैसे कहीं पर गजकुंड के जल का प्रभाव, तो कहीं पर पवित्र नदी के जल का प्रभाव, तो कहीं पर मंत्रित जल का प्रभाव, तो कहीं पर विशिष्ट ग्रहों की स्थिति आने पर अमुक नदी में स्नान और अभिषेक के प्रभाव के भी वर्णन मिलते हैं। जग प्रसिद्ध कुंभ मेले का आयोजन और स्थल इसी आधार पर होता है। आज प्रायः सभी जैन श्वेताम्बर मंदिरों में स्नात्रपूजा अवश्य होती है। अभिषेक में गाय के दूध का महत्व हे...दूधनी धारा शिर पर वहेती, थाये आखी पावन धरती; जीव-अजीव ने जे शिव करती, सहुना मन वांछित पूरती। भगवान का अभिषेक मेरू पर्वत पर क्षीर समुद्र के जल से होता है, क्षीर यार्न दूध । दूध स्वरूप इस समुद्र के जल की एक बूंद भी शरीर को निरोगी बना देती है, ऐसा उसका गुण है। इस लोक में प्रवाही में सर्वश्रेष्ठ अगर कोई प्रवाही है तो निःसंदेह वह गाय का दूध ही है। गाय का दूध इस पृथ्वी पर अमृत है।
SR No.002355
Book TitleParmatma ka Abhishek Ek Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJineshratnasagar
PublisherAdinath Prakashan
Publication Year
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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