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अ० ११] दशवैकालिकसूत्रम्.. निक्खम्म वज्जेज्न कुसील-लिङ्ग
न यावि हास कहए जे स भिक्खू ॥ २० ॥ तं देह-वासं असुई असासयं
सया चए निच-हिय-ट्रियप्पा। छिन्दितु जाई-मरणस्म बन्धणं
उवेइ भिक्ख अपुणागमं गई॥२१॥ति बेमि॥
(रइवक्क-चूलिया पढमा.)
___॥ एकादशमध्ययनम् ॥ ___ इह खलु भो पबइएणं उम्पन्न-दुक्खेणं संजमे अरइ-समावन-चित्तेणं ओहाणुप्पेहिणा अणोहाइएणं चेव हयरस्मि-गयङ्कस-पोयपडागा-भूयाई इमाई अट्ठारस ठाणाई सम्म संपडिलेहियबाई भवन्ति, तं जहा।
हं भी दुस्समाए दुप्पजीवी ॥१॥ लहुस्सगा इत्तरियां गिहीणं काम-भोगा ॥२॥ भुज्जो य साय-बहुला मणुस्मा ॥३॥ इमं च मे दुक्ख न चिरकालोवदाइ भविस्मइ ॥४॥ ओम-जण-पुरकारे ॥५॥
१ All mss. कुहए.
२ Bs इत्तिरि०.