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________________ दशवकालिकसूत्रम्. [अ०८-२ एवं धम्मस्स विणओ मलं, परमो से मोक्खो। जेण कित्तिं सुर्य संग्घं निस्सेसं चाभिगछई ॥२॥ जे य चण्डे मिए थद्धे दुबाई नियडी सढे । वुई से अविणीयप्पा कटुं सोय-गयं जहा ॥३॥ विणयं पि जो उवारण चोइओ कुप्पई नरो। दिवं सो सिरिमेन्जनि दण्डेण पडिसेहए ॥४॥ तहेव अविणीयप्पा उववका हया गया। दीसन्ति दुहमेहन्ता आभिओगमुवटिया ॥५॥ तहेव सुविणीयप्पा उववका हया गया। दीसन्ति सुहमेहनता इढेि पत्ता महायसा ॥६॥ तहेव अविणीयप्पा लोगंसि नर-नारिओ। दीसन्ति दुहमेहन्ता छाया ते विगलिन्दिया ॥७॥ दण्ड-सत्थ-परिजुणा असब्भ-वयणेहि य । कलुणा विवन्न-छन्दा खुप्पिवासाए परिगया ॥६॥ तहेव सुविणीयप्पा लोगंसि नर-नारिओ। दीसन्ति सुहमेहन्ता इढेिं पता महायसा ॥९॥ तहेव अविणीयप्पा देवा जक्खा य गुनगा। दीसन्ति दुहमेहन्ता आभिओगमुवटिया ॥१०॥ तहेव सुविणीयप्पा देवा जक्खा य गुमगा। दीसन्ति सुहमेहनता इढेि पत्ता महायसा ॥११॥ १ Bs सिग्धं. २ H and Avach. चाधि०. - ३ F and Avach. व्यापब-.
SR No.002354
Book TitleDasveyaliya Sutta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorErnst Leumann, Walther Schubrin
PublisherAnandji Kalyanji Pedhi
Publication Year1932
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size11 MB
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