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अ० ८–२]
दशवेकालिकसूत्रम्.
जहा ससी कोमुइ-जोग-र्जुले नक्खस- तारा-गण-परिवुडप्पा | खे सोहई विमले अब्भ-मुक्के, एवं गणी सोहइ भिक्ख-मज्झे ॥१५॥ महागरा आयरिया महसी
समाहि-जोगे सुय- सील-बुद्धिए । संपाविउ-कामे अणुत्तराई
आराहए, तोसए धम्म - कामी ॥ १६ ॥
सोच्चाण मेहावि-सुभासियाई सुस्सूसर आयरियप्पमत्तो ।
आराहइत्ताण गुणे अणेगे
से पावई सिद्धिमणुत्तरं ति ॥ १७ ॥ बेमि ॥
॥ नवममध्ययनम् ॥ द्वितीय उद्देशकः ॥
मलाओ खन्ध-प्पभवो दुमस्स,
खन्धाओ पच्छा समुवेन्ति साहा ।
साह पसाहा विरुहन्ति पत्ता,
तओ से पुष्कं च फलं रसो य ॥१॥ १ B जुत्तो.
२ B आयरियमप्प ०.
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