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जं सबहा न वीमुं स मुवि तं न रेणुतेल्लं व सेसेसु असन्भूओ जीवो कहमंतिमपएसे ? ॥ (२३४०) एवंभूयनयमयं देस-पएसा न वत्थुणो भिन्ना । तेणावत्थुत्ति मया कसिणं चिय वत्थुमिह से ॥ (२३४५) जह वा जिणिंदपडिमं जिणगुणरहियं ति जाणमाणावि । परिणामविसुद्धत्थं वदह तह किं न साहुंपि ? ॥ (२३६५) हुन्ज नवा साहुत्तं जइरूवे नत्थि चेव पडिमाए । सा कीस वंदणिज्जा जइरूवे कीस पडिसेहो ? ॥ (२३६६) असंजय-जइरूवे पावाणुमई मई न पडिमाए। नणु देवाणुगयाए पडिमाएँऽवि हुन्ज सो दोसो ॥ (२३६७) अह पडिमाऍ न दोसो जिणबुद्धीऍ नमओ विसुद्धस्स । तो जहरूवं नमओ जइबुद्धीए कहं दोसो ? ॥ (२३६८) जइ जिणमयं पमाणं मुणित्ति तो बज्झकरणपरिसुद्धं । देवपि वन्दमाणो विसुद्धभावो विसुद्धोत्ति ॥ (२३७७) छउमत्थसमयचज्जा ववहारनयाणुसारिणी सवा। तं तह समायरंतो सुज्झइ सबो विसुद्धमणो ॥ (२३७९) संववहारोऽवि बली जमसुद्धं पि गहियं सुयविहीए। कोवेइ न सवण्णू वैदइ य कयाइ छउमत्यं ॥ (२३८०) जइ जिणमय पवजह तो मा ववहारनयमयं मुयह । ववहारपरिचाए तित्थुच्छेओ जओऽवस्सं ॥ (२३८२) नहि सबहा विणासो अद्धापज्जायमेत्तनासम्मि । स-परपज्जायाणंतधम्मणो वत्थुणो जुत्तो ॥ (२३९३) तित्ती समो किलामो सारिक्ख-विवक्ख-पच्चयाईणि ।