SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 172
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५८० १८ १६३ अप्पकं दुप्पक ४१९ अविहिकया वरमकयं अप्पडिलेहिअपमज्जियं ४२३ | अष्टादशशीलाङ्गरथः (६६) अप्पत्ते चिय वासे २६५ असहेहिं समाइन्नं .८९५ अप्पुवनाणगहणे असणं ओयण सत्तुग ___ ७६२ अभितरमज्झबहिं १६० असणाईयं कप्पड़ अयलाईया अट्ठवि अह अह उद्ध अट्ट य अयले विजए भद्दे ५६७ | अहवा पण पन दस अरएमुवि एएमुं अह विमलवाहननिवं अरमल्लिअंतरे दुन्नि ५७८ अहिगरणाई जाई - ८६३ अरहंतचक्कवट्टी अहिगारिणा इमं खलु ६२१ अरहंतदंडगाईण | अहिगारिणो गिहत्थो ६२२ . अरहं वंदण सद्धा अहिगारिणो य पंच य ७२१ अरिहं आइगर पुरिसु अंगाहीणअवयवा अरिहंत सिद्धपवयण अंगुटमुहिगंठी ७६१ अरिहंता सुयसिद्धा अंगुलं सत्तरत्तेणं २७४ अरिहं देवो गुरुणो अंगोवंगतिगं अलाभरोगतणफासा अंजणखंजणकद्द० ३२६ अलोए पडिहया सिद्धा अंजणगिरिसु चऊसु ६०५ अवराइयविस्ससेणे १४० अंतगडाणं च दसा अवलंबिऊण कज्ज ८९७ अंते सो साहूणं अवसप्पिणिअरछक्के अंतोबहिं च दर्दू ३३१ अवसप्पिणिअवसप्पिणि १० अंतो वीरो सिद्धो अवसेसा तित्थयरा ४४० | आकारः अवहटु रायककुहाई ६६५ | आइजं जसकित्ती ८३८ अवहरइ रोगमारि ६३६ | आऊदेहपमाणं अवि मंदरंपि चुनिज ८ आगारा पुण सोलस ६६३ ८०५ या ८८०
SR No.002348
Book TitleVicharsar Prakaranam Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPradyumnasuri, Manikyasagar
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1923
Total Pages190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy