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प्रस्तावना
महाराज साहब
मन्दिर व मूर्ति की प्राचीनता, प्रामाणिकता, आवश्यकता और उपयोगिता पर दार्शनिक, चिन्तक एवं विद्वान् लेखक प्राचार्य सुशील सूरीश्वरजी की पुस्तक "मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्ति पूजा की प्राचीनता" एक महती आवश्यकता को पूरा करती है । लेखक ने जिनागम सहित अनेक प्राचीन धर्मग्रन्थों का प्रमाण देते हुए मूर्तिपूजा की प्राचीनता को प्रमाणित करने का सफल प्रयास किया है । प्रस्तुत पुस्तक के लेखन की पृष्ठभूमि में प्राचार्यप्रवर की पूरे साठ वर्षों की दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप की आराधना व अनुभूति है जिसकी कल्पना सामान्य दृष्टि वाला व भौतिकज्ञानप्राप्त व्यक्ति प्रायः नहीं कर सकता है ।
इस तथ्य को सभी स्वीकार करते हैं कि भारतीय संस्कृति में मन्दिरों और मूर्तियों की प्रधानता ही नहीं रही है अपितु कश्मीर से कन्याकुमारी और सौराष्ट्र से पूर्वांचल सम्पूर्ण राष्ट्र में प्रायः प्रत्येक नगर और ग्राम
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