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दिन वन्दनार्थ आये हुए धनला संघ के सद्गृहस्थों की तरफ से देसूरी जैनसंघ के प्रत्येक घर दीठ दो-दो रुपये की प्रभावना हुई।
. * चातुर्मास परावर्तन के कात्तिक सुद १५ सोमवार दिनांक १३-११-८६ के दिन मरुधरदेशोद्धारक परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशीलसूरीश्वरजी म. सा. आदि ठाणा ६ का तथा पूज्य साध्वीश्री हेमलता श्रीजी आदि ठाणा ८ का एवं पूज्य साध्वीश्री स्नेहलता श्रीजी आदि ठाणा ११ का चातुर्मास परावर्तन श्रीमान् देवराजजी मूलचन्दजी साकरियां की तरफ से उन्हीं के घर पर हुआ। वहाँ पर ज्ञानपूजन, मांगलिक प्रवचन तथा संघ प्रतिज्ञा होने के पश्चाद् संघपूजा तथा मोदक की प्रभावना हुई।
श्री शत्रुञ्जय महातीर्थपट्ट के सामने चतुर्विध संघ युक्त पूज्यपाद आचार्य म. सा. ने चैत्यवन्दन किया तथा श्री शत्रुञ्जय महातीर्थ के २१ खमासमण दिये। उसी दिन ६६ प्रकारी पूजा प्रभावना युक्त पढ़ाने में आई ।
* कात्तिक (मागसर) वद २ मंगलवार दिनांक १४-११-८९ के दिन वन्दनार्थ आये हुए चारणस्मा वाले
. मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-३१३