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________________ जिनवाणी-श्रवण का लाभ श्रीसंघ को अहर्निश मिलता ही रहा। ॐ पंचालिका-महोत्सव का प्रारम्भ ॐ भादरवा (आसो) वद ६ बुधवार दिनांक २०-६-८६ के दिन व्याख्यान में संघपूजा चारणस्मावाले वन्दनार्थे आये हुए शा. अरविन्दभाई एवं शा. महेन्द्रभाई आदि ने दो-दो रुपये से की। उसी दिन पू. साध्वी श्रीसिद्धिरक्षिता श्रीजी कृत ३१ उपवास की तपश्चर्या निमित्त उपाश्रय बहिनों की तरफ से पंचाह्निका-महोत्सव का प्रारम्भ हुआ। प्रतिदिन व्याख्यान-पूजा-प्रभावना-प्रांगी-रोशनी और रात को भावना का कार्यक्रम रहा। __ भादरवा (पासो) वद १० रविवार दिनांक २४-६-८६ के दिन देसूरी में बँधे हुए विशाल मण्डप में जैन-जैनेत्तर विशाल आम जनता के समक्ष जैनधर्मदिवाकर परम पूज्य प्राचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. का तथा पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. का प्रभाविक जाहेर व्याख्यान हुआ । * भादरवा (आसो) वद १३ बुधवार दिनांक — मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-३०७
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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