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________________ संघ के साथ पूज्यपाद आचार्य म. सा. के पुनीत पगलिये श्रीमान् भैरूलालजी पूनमचन्दजी अम्बावत परिवार के घर पर हुए। उसी दिन नवग्रहादिपाटला पूजन हुआ। तथा श्रीब्रहदशान्तिस्नात्र श्रीमान् धनराजजी जसराजजी कोठारी परिवार की ओर से विधिपूर्वक पढ़ाया गया। स्वामिवात्सल्य श्रीमान् हिम्मतमलजी नेमावत परिवार की तरफ से हुआ। ६-भादरवा सुद १३ बुधवार दिनांक १३-६-८६ के दिन अष्टादश अभिषेक का कार्यक्रम हुअा तथा सत्तरहभेदी पूजा-प्रभावना-प्रांगी-रोशनी-भावना श्रीमान् सुखलालजी सूरतरामजी दोशी परिवार की ओर से हुई। इस तरह नवाह्निका श्रीजिनेन्द्रभक्ति महोत्सव की पूर्णाहुति हुई । * भादरवा [पासो] वद २ रविवार दिनांक १७-६-८६ के दिन धणोगाँव वाले श्रीमान् खीमराजजी की धर्मपत्नी सुगनबाईकी मासखमकी तपश्चर्या निमित्त शा.वच्छराजजी हजारीमलजी के घर पर पगलिया हुए। शा. खीमराजजी ने सजोड़े ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा की और संघ की नौकारसी भी की। महोत्सव में और महोत्सव के बाद में भी भूति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-३०६
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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