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( २ ) पूज्य मुनिराज श्री प्रमोद विजयजी म. की १८वीं व १६वीं ओली ।
(३) पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. को पंचमांग पूज्य श्री भगवतीजी सूत्र के महान् योग की आराधना ।
( ४ ) पूज्य मुनिराज श्री अरिहन्त विजयजी म. की श्री वर्द्धमान तप की १८वीं व १६वीं प्रोली तथा अट्ठाई ।
(५) पूज्य मुनिराज श्री रविचन्द्र विजयजी म. को पूज्य श्री महानिशीथ सूत्र के योग की आराधना ।
साध्वी समुदाय में
प. पू. शासनसम्राट् समुदाय की प्रज्ञावर्त्तिनी पूज्य साध्वी श्री चारित्र श्रीजी महाराज की शिष्या पू. साध्वी श्री हेमलता श्रीजी म. तथा पू. साध्वी श्रीनयप्रज्ञाश्रीजी म. आदि में से
* पू. साध्वीश्री ध्यानमित्राश्रीजी की - अट्ठाई । * पू. साध्वीश्री जिनमित्राश्रीजी म. की अट्ठाई । मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - २६५