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पगलियाँ चतुर्विध संघ समेत श्रीमान् थानमलजी के. घर पर हुए। वहाँ ज्ञानपूजन के पश्चात् संघपूजा हुई। भादरवा सुद बीज के दिन दो टंक व्याख्यानादि का कार्यक्रम रहा।
६-भादरवा सुद ३ रविवार दिनांक ३-६-८६ के दिन पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. आदि चतुर्विध संघ समेत बैन्ड युक्त श्रीमान् वत्सराजजी हजारीमलजी फागणिया, श्रीमान् देवराजजी उम्मेदमलजी तथा श्रीमान् नगराजजी कालूरामजी, इन तीनों के घर पर क्रमशः पधारे। सभी स्थलों में ज्ञानपूजन, प्रतिज्ञा एवं मांगलिक होने के पश्चात् संघपूजा हुई।
७-भादरवा सुद ४ सोमवार दिनांक ४-६-८६ संवत्सरी के दिन वन्दनार्थ आये हुए श्रीमान् मिश्रीमलजी कान्तिलालजी घाणेराव वाले ने व्याख्यान में संघपूजा की। संवत्सरी प्रतिक्रमण के पश्चाद् भी प्रभावना हुई।
विविध-तपश्चर्या साधुसमुदाय में(१) परम पूज्य आचार्य म. सा. की श्री वर्धमान तप
की ५६ वीं अोली।
मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-२६४