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पधारे। वहाँ पर भी ज्ञानपूजनादि के संघपूजा हुई।
पश्चात्
___ आषाढ़ सुद ८ मंगलवार दिनांक ११-७-८६ के दिन प्रवचन के बाद पूज्यपाद आचार्य म. सा. आदि चतुर्विध संघ समेत स्वागतपूर्वक श्रीमान् जालमचंदजी घासीरामजी के घर पर पधारे। वहाँ पर भी ज्ञानपूजन, मांगलिक, पदयात्रा संघ की प्रतिज्ञा के बाद संघपूजा हुई।
* पूज्यश्री भगवतीसूत्र के योग में प्रवेश
तथा श्रीसिद्धचक्रमहापूजन * विक्रम सं. २०४५ आषाढ़ सुद-६ बुधवार दिनांक १२-७-८६ के दिन प्रातः शुभ मुहूर्त में परमपूज्य आचार्य म. सा. ने नाण समक्ष अपने शिष्यरत्न पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. को पंचमांग पूज्य श्री भगवतीसूत्र के योग में मंगलप्रवेश करवाया। प्रवचन के पश्चात् पूर्ववत् श्रीसंघ की ओर से प्रभावना हुई । दोपहर में 'श्रीसिद्धचक्रमहापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाया गया। अष्टाह्निका-महोत्सव की पूर्णाहुति हुई ।
३ आषाढ़ सुद १३ रविवार दिनांक १६-७-८६ के
मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-२८४