SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 264
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इन नामादि चारों निक्षेपों से प्रत्येक जिनेश्वरदेव की मूत्ति-प्रतिमा प्रतिदिन पूजित ही है । प्रश्न-स्थाप्य की स्थापना किये बिना क्या किसी प्रकार की धर्मक्रिया नहीं हो सकती है ? ___ उत्तर-हाँ, स्थाप्य की स्थापना किये बिना किसी प्रकार की धर्मक्रिया नहीं हो सकती है। इसलिए स्थाप्य की स्थापना अवश्य ही करनी पड़ती है। जैनधर्म में सभी धर्मक्रियाएँ स्थापना के सम्मुख ही करनी चाहिए, ऐसा विधान है। इसके लिए प्रागमशास्त्र में अनेक सूत्रों के प्रमाण मिलते हैं। जैसेसाक्षात् देव के अभाव में देव की मूत्ति और गुरु के अभाव में गुरु की स्थापना चाहिए। इसके समर्थन में पूर्वधर पूज्य आचार्यदेव श्री जिनभद्रगरिण क्षमाश्रमणजी महाराज सा. ने अपने 'श्री विशेषावश्यक महाभाष्य' नामक ग्रन्थ में गुरु के अभाव में गुरु की स्थापना करने के विषय में कहा है कि गुरुविरहमि ठवणा गुरुवएसोवदंसपत्थं च । जिणविरहंमि जिबिंब सेवणामंतणं सहलं ॥१॥ मूत्ति-१६ मूत्ति की सिद्धि एवं मूत्तिपूजा की प्राचीनता-२४१
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy