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अर्थ-सब क्षेत्रों में और सब कालों में नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव के द्वारा तीनों जगत्-भू, भुवः, स्वर्ग के प्राणियों को पवित्र करने वाले अरिहन्तों की हम उपासना करते हैं ।। २ ॥
-सकलार्हत्स्तोत्रे प्रोक्तमिति पाताले यानि बिम्बानि, यानि बिम्बानि भूतले । स्वर्गेऽपि यानि बिम्बानि, तानि वन्दे निरन्तरम् ॥ ३ ॥
अर्थ-पाताललोक में विद्यमान, भूतल पर विद्यमान तथा स्वर्गलोक में विद्यमान सभी जिनबिम्बों की मैं निरन्तर वन्दना करता हूँ ।। ३ ।।
(१) विश्व में सर्वश्रेष्ठ आलम्बन अनादि और अनन्तकालीन विश्व-जगत् में अनादि काल से चौरासी लाख जीवायोनी में चारों गतियों में परिभ्रमण करने वाले संसारी जीवों के लिए संसार-सागर से पार उतरने के लिये अर्थात् तिरने के लिये और मोक्ष का शाश्वत सुख पाने के लिये सद्धर्म के अनेक प्रशस्त आलम्बन हैं। उनमें भी प्रशस्ततम दो ही आलम्बन सर्वोत्कृष्ट यानी सर्वश्रेष्ठ हैं-'जिनबिम्ब और जिनागम ।'
इस अवसर्पिणी काल के पंचम पारे में धर्मी जीवों
मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-२