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प्रभु कण्ठे पुष्प-माला पहिनावतां । . फल बहुत वहाँ भव्य जीव पाता । ___ समय मिला प्रभु अर्चन का....
प्रो पातमा ! ० ॥ (१४) प्रभु आगे भवि गीतनाद करता । पार न आये तस फल ही सुनता । समय मिला ये प्रभु - भक्ति का....
प्रो पातमा ! ० ॥ (१५)
प्रभु के आगे धूप-दीपक करना। अक्षत नैवेद्य फल और रखना । समय मिला प्रभु की सेवा का....
प्रो पातमा ! ० ॥ (१६)
अष्ट द्रव्य से प्रभु पूजन करता । भवोदधि से सेवक पार हो जाता। समय मिला कर्मों के क्षय का....
ओ प्रातमा ! ० ॥ (१७)
नाटक करता और भावना भाता। वो ही भव्यात्मा भगवान बन जाता। समय मिला प्रभु बनने का....
प्रो पातमा ! ० ॥ (१८)
मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-२१४