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शाश्वत जिनप्रतिमाओं की विद्यमानता का वर्णन किया है।
(४३) श्री निरयावलिका सूत्र में नगरप्रमुख अधिकार में जिनप्रतिमा का वर्णन किया है।
(४४) श्री सूर्यप्रज्ञप्ति में सूर्य के विमान में जिन-. प्रतिमाओं का वर्णन किया है ।
(४५) श्री बृहत्कल्प सूत्र में नगरियों के अधिकार में जिनचैत्य का भी वर्णन किया है ।
(४६) श्री व्यवहार सूत्र के पहले उद्देश की आलोचना के अधिकार में जिनप्रतिमा का वर्णन है।
(४७) श्री दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र में राजगृह नगर के अधिकार में जिनमूत्ति का वर्णन है ।
(४८) श्री दशवकालिक सूत्र में 'जिनप्रतिमा के दर्शन से श्री शय्यंभव नाम के भट्ट ने प्रतिबोध पाया', ऐसा वर्णन है। - (४६) श्री नंदी सूत्र में विशाला नाम की नगरी में जिनचैत्य को महाप्रभाविक कहा है । मूत्ति-६ मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-१२६