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श्रीसम्प्रति महाराजा द्वारा मन्दिरों
और मूत्तियों का निर्माण ।
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सम्राट सम्प्रति का नाम आज भी भारत के इतिहास में सुवर्णाक्षरों में लिखा गया अमर है। वह कुणाल राजा का पुत्र था और सम्राट अशोक का पौत्र था।
उसने दिग्विजय करके सोलह हजार राजाओं को जीत कर अनेक नगरों पर अपना वर्चस्व-आधिपत्य जमाया था।
अपनी विजय-यात्रा की पूर्णाहुति कर अवन्ती नगरी में भव्य प्रवेश करने के पश्चात् सम्राट् सम्प्रति ने अपनी पूज्य जनेता माता के चरणों में सिर झुकाया और उसे आशीर्वाद देने को कहा।
धर्मी माता ने कहा-"बेटा! तेरी इस विजय-यात्रा से मैं खुश नहीं हूँ। यदि तू जगह-जगह पर जिनमन्दिर