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( ६३ ) अतिदुःखों और कष्टों से भयभीत होकर सर्वज्ञ भगवान महावीर से पूछा कि-भगवन् ! आप तो सर्वज्ञविभु परमदयालु करुणासिन्धु हो। मुझ पर आपकी असीम कृपा है। ऐसा कोई उपाय बतलाइये कि मुझे नरक में न जाना पड़े।
प्रभु ने कहा कि हे श्रेणिक ! तुमको नरक में न जाना पड़े, इसके तीन उपाय हैं(१) तुम्हारी नगरी का निवासी कालिकसुर कसाई एक
दिन पांचसौ पाड़ों की हिंसा न करे । (२) तुम्हारे महल में काम करने वाली कपिला दासी
अपनी दानशाला में अपनी प्रात्मिक भावना से
अन्य को दान देवे । (३) प्रतिदिन शुद्ध सामायिक करता हुआ पूणिया श्रावक
एक सामायिक तुमको समर्पित करे ।
इन तीन कार्यों में से कोई भी एक कार्य सफल होवे तो तुम्हारे नरक में जाने का बंध न होवे ।
यह कथन प्रभु के मुंह से सुनकर श्रेणिक महाराजा ने सफलता प्राप्त करने का प्रयत्न किया। उन्होंने सेवक