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॥ नमो जिणाणं ॥
मूत्तिवाद का समर्थन
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अनादि एवं अनन्तकालीन विश्व है। उसमें आज भी अनेक वाद प्रवर्त्तमान हैं। सर्वोत्कृष्ट स्याद्वादअनेकान्तवाद है। उसकी तुलना में अन्य एक भी वाद नहीं पा सकता है। कारण कि परस्पर विरोधी वस्तुओं को भी एक ही अपेक्षाभेद से यही स्याद्वादअनेकान्तवाद सत्य स्वरूप में समन्वय दृष्टि से घटा सकता है अर्थात् सुन्दर वर्णन कर सकता है। इसलिए वह सभी वादों में सर्वोत्कृष्ट कहा जाता है ।
विश्व में चल रहे अनेक वादों में 'मूतिवाद' का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। विश्व का समस्त व्यवहार चेतन और जड़ वस्तु पर चल रहा है। सदा काल चेतन चेतन ही रहता है और जड़-जड़ ही रहता है। अर्थात् कभी भी न चेतन जड़ होता है और न जड़ चेतन होता है।