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________________ है जिनेश्वर के जीवन की पूज्यता है है एवं उनके भक्तिभाव का साधन Lwwwwwweservewwwwwwwwwwws सारे विश्व में देवाधिदेव जिनेश्वर भगवन्त ही हैं। उनका समस्त जीवन परम पवित्र है। इसलिए वे सर्वदा नमस्करणीय-वन्दनीय, पूजनीय, प्रशंसनीय एवं आदरणीय हैं। उनके समग्र जीवन के सुप्रसिद्ध मुख्य पाँच कल्याणक होते हैं। च्यवनकल्याणक, जन्मकल्याणक, दीक्षाकल्याणक एवं निर्वाण (मोक्ष) कल्याणक । इन पाँच कल्याणकों द्वारा तीर्थंकर परमात्माजिनेश्वर भगवान परम पूज्य होने से उनके जीवन के अन्य भी सभी प्रसंग सर्वदा पूज्य बन जाते हैं। कारण कि-अपने पर आज भी प्रत्यक्ष-साक्षात् उपकार उनके सदुपदेश का ही है, तो भी परम्परा से उनके पवित्र जीवन का प्रभाव है। ऐसे पूज्य जिनेश्वर भगवन्तों की साक्षात् अविद्यमान दशा में उनके प्रति भक्तिभाव प्रदर्शित करने का श्रेष्ठ साधन जिनालय एवं जिनप्रतिमाएँ हैं ।
SR No.002338
Book TitleJinmandiradi Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Ravichandravijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1997
Total Pages220
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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