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________________ * चैत्र (वैशाख) वद ८ शनिवार दिनांक २६-४-८६ के दिन रानी स्टेशन से प्रातः विहार कर विजोवा में पूज्यपाद आचार्य म. सा. स्वागतपूर्वक पधारे । वहाँ पर जिनमन्दिर के दर्शनादि किये, बाद में पूज्यपादश्री के मंगल प्रवचन का लाभ श्रीसंघ को मिला । शाम को विहार कर नाडोल में बाहर की बगीची में पधारे । वहाँ से नवमी के दिन प्रातः विहार कर नीपल में स्वागत पूर्वक पधारे । वहाँ पर भी जिनमन्दिर में दर्शनादि किये । श्री संघ को जिनवाणी श्रवण का लाभ मिला । (११) रामाजी का गुड़ा में प्रवेश एवं प्रतिष्ठामहोत्सव का प्रारम्भ (१) चैत्र (वैशाख) वद १० सोमवार दिनांक १-५-८६ के दिन प्रातः जालोर - नंदीश्वर द्वीप मन्दिर से लाये हुए श्री सुमतिनाथ जिनमूत्ति का मंगल प्रवेश तथा नीपल से विहार कर रामाजी का गुड़ा में पधारते हुए जैनधर्मदिवाकर राजस्थान- दीपक परम पूज्याचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. आदि का भी प्रवेश श्री जैनसंघ की ओर से बैन्डयुक्त भव्य स्वागतपूर्वक हुआ । श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के दर्शनादि के बाद पूज्यपाद आचार्य म. सा. का 'प्रभु प्रतिष्ठा ( ३४ )
SR No.002338
Book TitleJinmandiradi Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Ravichandravijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1997
Total Pages220
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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