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________________ हुई । मिलता रहा । प्रतिदिन व्याख्यान श्रवरण का लाभ श्रीसंघ को (४) चैत्र (वैशाख) वद १ शनिवार दिनांक २२-४-८९ के दिन नवग्रहादि पाटला पूजन, श्री मारिणभद्रपूजन तथा श्री क्षेत्रपालपूजन विधिपूर्वक सम्पन्न हुई । (५) चैत्र (वैशाख) वद २ रविवार दिनांक २३-४-८९ के दिन 'श्री पार्श्वपद्मावती महापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाई गई । ( ६ ) चैत्र ( वैशाख ) वद ३ सोमवार दिनांक २४-४-८९ के दिन छप्पन दिगुकुमारिका महोत्सव का कार्यक्रम रहा । (७) चैत्र (वैशाख) वद ४ मंगलवार दिनांक २५-४-८६ के दिन 'श्री वामा माता का थाल' भरने का तथा जुलूस का कार्यक्रम रहा । ( ८ ) चैत्र ( वैशाख ) वद ५ बुधवार दिनांक २६-४-८९ के दिन पूज्य पंन्यास श्री कुन्दकुन्द विजयजी म. तथा पूज्य मुनि श्री विनयधर्म विजयजी म. । पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. की वन्दनार्थ पधारे । उसी दिन बाहर के श्री ( ३२ )
SR No.002338
Book TitleJinmandiradi Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Ravichandravijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1997
Total Pages220
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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