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* महा सुद ११ गुरुवार दिनांक १६-२-८६ के दिन अष्टादश अभिषेक, चैत्याभिषेक, ध्वज-दण्ड-कलशाभिषेक का कार्य विधिपूर्वक हुआ । उसी दिन श्रीमान् भबूतमलजी, श्रीमान् मुलतानमलजी, श्रीमान् चिमनमलजी इत्यादि सद्गृहस्थों के नौ घरों पर पूज्यपाद आचार्यदेव के बैन्ड युक्त पगलियाँ हुए। वहाँ पर ज्ञानपूजन मांगलिक तथा प्रतिज्ञा के पश्चाद् संघपूजा एवं प्रभावना हुई।
* महा सुद १२ शुक्रवार दिनांक १७-२-८६ के दिन पूज्यपाद आचार्य म. सा. के सदुपदेश से सांचोड़ी के जैन संघ में एकता हुई। श्रीमान् अनराजजी आदि के घर पर बैन्ड युक्त पूज्य श्री के पुनीत पगलियाँ हुए । ज्ञानपूजन, मांगलिक एवं प्रतिज्ञा के पश्चाद् संघपूजा हुई। देवीपूजन हुआ। रथ-इन्द्रध्वज-हाथी-घोड़े-बैन्ड आदि युक्त जल यात्रा का भव्य वरघोड़ा निकला ।
* महा सुद १३ शनिवार दिनांक १८-२-८६ के दिन प्रातःकाल में तथा शुभलग्न मुहूर्त में जीर्णोद्धारकृत श्री मनमोहन पार्श्वनाथ आदि जिनबिम्बों की, गुरु-चरणपादुका की, यक्ष-यक्षिणी प्रादि मूत्तियों की तथा शिखर पर ध्वज-दण्ड-कलशारोहण की विधिपूर्वक महा मंगलकारी प्रतिष्ठा परमशासन प्रभावना पूर्वक परम शासन
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